जिला मुख्यालय का बीआर मिर्धा कॉलेज तो निर्वाचन आयोग ने अपने कब्जे में ले लिया है और छात्रों के प्रवेश पर पूर्णत: रोक लगा दी है। कॉलेज व्याख्याताओं को जोनल मजिस्ट्रेट या अन्य चुनावी ड्यूटी पर लगा दिया है और उन्हें समय-समय ट्रेनिंग दी जा रही है। व्याख्याताओं को केवल प्रशासनिक ब्लॉक में जाने की अनुमति है, जहां वे रजिस्ट्रर में हस्ताक्षर कर लेते हैं या फिर टाइम पास के लिए बाहर आकर बैठ जाते हैं।
बीआर मिर्धा कॉलेज परिसर में संचालित होने वाले विधि कॉलेज में प्रथम वर्ष की प्रवेश प्रक्रिया गत 20 नवम्बर को ही पूरी हुई है। कॉलेज आयुक्तालय ने गत दिनों प्रवेश प्रक्रिया पूरी करने के बाद अतिरिक्त कक्षाएं लगाकर पाठ्यक्रम पूरा करवाने के निर्देश दिए थे, लेकिन यहां तो चुनाव आयोग ने कॉलेज भवन को ही अपने कब्जे में ले लिया, जिसके चलते विद्यार्थियों को एक महीना और इंतजार करना पड़ेगा। ऐसे में पाठ्यक्रम पूरा होने की संभावना नजर नहीं आती है।
जिले में प्रारम्भिक व माध्यमिक के करीब 3041 शिक्षण संस्थान हैं। प्रत्येक स्कूल से दो से तीन की संख्या में शिक्षकों की चुनावो में ड्यूटी लगा दी गई है। माध्यमिक विद्यालयों में तो विषय विशेषज्ञ शिक्षकों की ड्यूटी लगाने से न केवल विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हुई है, बल्कि अतिरिक्त लगने वाली कक्षाओं पर भी विराम लग गया है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों की पढ़ाई ज्यादा प्रभावित हुई है। हालांकि शिक्षा विभाग के अधिकारी आधिकारिक तौर पर पढ़ाई प्रभावित होने या फिर विषय विशेष का पाठ्यक्रम प्रभावित होने से इनकार करते हैं, लेकिन दबी जुबान से स्वीकारते हैं कि बोर्ड परीक्षा व अद्र्धवार्षिक परीक्षाओं से पहले चुनाव आ जाने कारण शिक्षण कार्य पूरी तरह से प्रभावित हो गया है।
यह सवाल भी सही है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनाव कराना जरूरी है, लेकिन इसके लिए चुनाव आयोग दूसरी व्यवस्थाएं कर सकता है। उदाहरण के तौर पर जिला मुख्यालय के मिर्धा कॉलेज भवन को कब्जे में लेने की बजाय जिला प्रशासन खुद का दूसरा भवन बनाए, जिसे चुनाव कार्यों के लिए उपयोग लिया जा सके। शहर एवं आसपास ऐसी सैकड़ों बीघा सरकारी जमीन है, जिस पर भूमाफिया कब्जा कर रहे हैं। यदि प्रशासन उस जमीन पर चुनावी गतिविधियों के लिए भवन बना दे तो समाधान हो सकता है। क्योंकि चुनाव का सीजन पांच साल में तीन साल तक रहता है। वर्तमान में जहां विधानसभा चुनाव चल रहा है, वहीं इसके बाद अगले वर्ष लोकसभा चुनाव होगा। उसके बाद पंचायतीराज संस्थाओं के चनाव और फिर स्थानीय निकायों के चुनाव होंगे, जब-जब चुनाव होंगे मिर्धा कॉलेज का भवन उपयोग लिया जाएगा। इसी प्रकार चुनाव में कम से कम शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जा सकती है, ताकि बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो।