ठेकेदार ने एमसीएच विंग के भवन निर्माण में भ्रष्टाचार की हदें पार कर दी। एमसीएच विंग से पहले बने जेएलएन अस्पताल के भवन को अभी मरम्मत की आवश्यकता नहीं पड़ी, लेकिन एमसीएच विंग का भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है और बिना हाथ लगाए ही प्लास्टर गिर रहा है। कई स्थानों पर तो प्लास्टर गिरने के बाद ईंटें दिखाई देने लगी हैं, जो यह बता रही है कि हादसा किसी भी वक्त हो सकता है। गौरतलब है कि 4 मई 20217 को जेएलएन अस्पताल के पीएमओ को हस्तांतरित किया गया था। घटिया निर्माण के चलते एमसीएच भवन शुरू से ही विवादों में रहा। इसके बावजूद आज तक एनआरएचएम कार्यालय से बजट स्वीकृत नहीं किया गया है।
एमसीएच विंग के भवन की जर्जर हालत को लेकर मंगलवार को राजस्थान पत्रिका में समाचार प्रकाशित होने के बाद जिला कलक्टर पीयूष समारिया ने पीएमओ को दुबारा पत्र लिखने के लिए कहा, जिस पर पीएमओ डॉ. महेश पंवार ने जिला कलक्टर को पत्र लिखकर अब तक जिला कलक्टर व एनआरएचएम के मिशन निदेशक को लिखे पत्रों का हवाला दिया तथा बताया कि अंतिम पत्र 25 फरवरी 2022 को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं जयपुर के निदेशक को लिखा गया था, जिसमें मरम्मत के सम्बन्ध में प्राप्त 1.51 करोड़ के तकमीना को भिजवाया था, लेकिन आज तक कोई प्रतिउत्तर प्राप्त नहीं हुआ है।
गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका ने एमसीएच विंग के भवन निर्माण में बरती गई लापरवाही व किए गए भ्रष्टाचार को लेकर शुरू से ही समाचार प्रकाशित कर अधिकारियों का ध्यान आकृषित किया था। 17 जून 2021 को पत्रिका ने एमसीएच विंग में छत का प्लास्टर गिरने की खबर प्रकाशित की। इसके बाद 23 जुलाई को एमसीएच विंग की ग्राउण्ड रिपोर्ट प्रकाशित कर हकीकत बताई। पत्रिका द्वारा बार-बार समाचार प्रकाशित करने पर तत्कालीन जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने इसको गंभीरता से लेते हुए 26 जुलाई को एनआरएचएम के मिशन निदेशक को पत्र लिखकर भवन की मरम्मत के लिए बजट की मांग की। कलक्टर ने पत्र में बताया कि उनके द्वारा एवं जेएलएन अस्पताल के पीएमओ द्वारा पूर्व में भी पत्र लिखे जा चुके हैं। अब जर्जर भवन से हादसे की आशंका बनी हुई है।
एमसीएच विंग के भवन की मरम्मत के लिए एनएचएम को पत्र लिखकर वस्तु स्थिति से अवगत कराया है।
– पीयूष समारिया, जिला कलक्टर, नागौर