नियमों के तहत चिकित्सक को संबंधित अस्पताल के प्रभारी को लिखकर देना होता है कि वह निजी प्रेक्टिस नहीं करेगा। इसके बाद ही चिकित्सक मूल वेतन का 25 फीसदी नॉन प्रेक्टिस अलाउंस लेने का हकदार होता है। इसके अलावा प्रभारी को एनपीए लेने वाले चिकित्सकों की निगरानी रखने के लिए नोडल ऑफिसर लगाने और कमेटी बनाया जाना जरूरी है। आउटडोर में उन डॉक्टरों की सूची चस्पा करनी होती है, जो एनपीए ले रहे हैं। हालांकि जिले में इसकी पालना भी नहीं हो रही है।
नागौर के आरटीआई एक्टिविस्ट ओमप्रकाश पारासरिया ने सूचना का अधिकार के तहत जिले में एनपीए उठाने वाले चिकित्सकों की सूचना मांगी तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। कई जगह अधिकारियों ने सूचना उपलब्ध नहीं होने का बहाना बनाया तो कुछ ने निर्धारित समय बीतने के बावजूद सूचना नहीं दी। यहां तक कि जिला मुख्यालय से भी सूचना नहीं दी। लाडनूं पीएमओ ने बताया कि निगरानी के लिए कमेटी नहीं बनाई है। एक-दो अधिकारियों ने तो यहां तक जवाब दिया एनपीए लेने वाले डॉक्टरों की निगरानी रखने के कोई प्रावधान नहीं हैं और न ही आउटडोर पर सूची चस्पा करने का। पारासरिया ने लाडनूं में एनपीए लेने वाले एक डॉक्टर से घर पर परामर्श लिया तो उन्होंने फीस के डेढ़ सौ रुपए ले लिए।
स्थान – डॉक्टर की संख्या
मकराना – 15
जायल -17
डेह – 4
रोल – 4
बड़ी खाटू – 3
मेड़ता सिटी – 8
डीडवाना – 22
रियां बड़ी – 14
बोरावड़ – 4
लाडनूं – 16
कुचामन – 20
परबतसर – 9
डेगाना – 6
गच्छीपुरा – 6
एनपीए लेने के बावजूद घर पर या क्लीनिक में मरीज से फीस लेने वाले चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है, लेकिन हमारे पास किसी की शिकायत नहीं आई। शिकायत आने पर कार्रवाई की जाएगी।
– डॉ. मेहराम महिया, सीएमएचओ, नागौर