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नागौर

जिले में 150 से अधिक डॉक्टर मरीजों से ले रहे फीस, सरकार से तनख्वाह के साथ एनपीए

जिले में डेढ़ सौ से अधिक डॉक्टर अस्पताल से उठाते हैं नॉन प्रेक्टिस अलाउंस और मरीजों को क्लीनिक व अस्पतालों में लेते हैं फीस- जिला कलक्टर व एमसीआई के आदेश की हो रही अवहेलना

नागौरJun 26, 2022 / 02:49 pm

shyam choudhary

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नागौर. जिला मुख्यालय के जेएलएन राजकीय अस्पताल सहित जिलेभर के 30 से अधिक सरकारी अस्पतालों के 150 से अधिक चिकित्सक नॉन प्रेक्टिस अलाउंस लेने के बाद भी घर या क्लीनिक पर मरीजों को देखने के बदले फीस वसूल रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र में तो कई चिकित्सक ऐसे हैं जिन्होंने अस्पताल के आसपास ही अपने चैम्बर बना रखे हैं और अस्पताल की ओपीडी में बैठने की बजाए ये क्लिीनिक पर मरीजों को देखते हैं। कई चिकित्सकों ने खुद के अस्पताल भी खोल रखे हैं। खास बात है कि इन डॉक्टरों ने अस्पताल प्रशासन को घर पर मरीज नहीं देखने का घोषणा पत्र भी दे रखा है और हर महीने नॉन प्रेक्टिस अलाउंस (एनपीए) उठा रहे हैं। मोटे आंकलन के अनुसार जिले भर में डॉक्टर हर महीने करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए का एनपीए उठा रहे हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2021-22 में रियां बड़ी उपखंड पर सेवा देने वाले 14 डॉक्टरों ने ही 19 लाख 96 हजार का एपीए उठाया है। वहीं दूसरी तरफ निजी प्रेक्टिस करके हर साल करोड़ों रुपए कमाते हैं।
गौरतलब है कि गत 4 मई को जिला कलक्टर पीयूष सामरिया ने सख्त निर्देश जारी करते हुए कहा था कि सरकारी सेवारत चिकित्सक किसी भी निजी चिकित्सा संस्थान में सेवा नहीं देंगे। कलक्टर ने निर्देश दिए कि सरकारी सेवारत चिकित्सक किसी भी निजी चिकित्सा संस्थान में सर्जरी आदि अन्य किसी तरह की चिकित्सा सेवा नहीं दे सकते। ऐसा करते पाए जाने पर संबंधित चिकित्सक के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। साथ ही वे सरकारी सेवारत चिकित्सक, जो एनपीए का लाभ ले रहे हैं, वे घर पर चिकित्सा परामर्श शुल्क भी नहीं ले सकते। हालांकि कलक्टर ने समस्त सरकारी सेवारत चिकित्सकों को उक्त निर्देशों की अक्षरश: पालना करने के निर्देश दिए थे, लेकिन 50 दिन बीतने के बावजूद कलक्टर के निर्देशों की पालना नहीं हो पाई।
हर माह देनी होती है शपथ
नियमों के तहत चिकित्सक को संबंधित अस्पताल के प्रभारी को लिखकर देना होता है कि वह निजी प्रेक्टिस नहीं करेगा। इसके बाद ही चिकित्सक मूल वेतन का 25 फीसदी नॉन प्रेक्टिस अलाउंस लेने का हकदार होता है। इसके अलावा प्रभारी को एनपीए लेने वाले चिकित्सकों की निगरानी रखने के लिए नोडल ऑफिसर लगाने और कमेटी बनाया जाना जरूरी है। आउटडोर में उन डॉक्टरों की सूची चस्पा करनी होती है, जो एनपीए ले रहे हैं। हालांकि जिले में इसकी पालना भी नहीं हो रही है।
आरटीआई में सूचना मांगी तो हुआ खुलासा
नागौर के आरटीआई एक्टिविस्ट ओमप्रकाश पारासरिया ने सूचना का अधिकार के तहत जिले में एनपीए उठाने वाले चिकित्सकों की सूचना मांगी तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। कई जगह अधिकारियों ने सूचना उपलब्ध नहीं होने का बहाना बनाया तो कुछ ने निर्धारित समय बीतने के बावजूद सूचना नहीं दी। यहां तक कि जिला मुख्यालय से भी सूचना नहीं दी। लाडनूं पीएमओ ने बताया कि निगरानी के लिए कमेटी नहीं बनाई है। एक-दो अधिकारियों ने तो यहां तक जवाब दिया एनपीए लेने वाले डॉक्टरों की निगरानी रखने के कोई प्रावधान नहीं हैं और न ही आउटडोर पर सूची चस्पा करने का। पारासरिया ने लाडनूं में एनपीए लेने वाले एक डॉक्टर से घर पर परामर्श लिया तो उन्होंने फीस के डेढ़ सौ रुपए ले लिए।
जिले के एनपीए उठाने वाले डॉक्टर
स्थान – डॉक्टर की संख्या
मकराना – 15
जायल -17
डेह – 4
रोल – 4
बड़ी खाटू – 3
मेड़ता सिटी – 8
डीडवाना – 22
रियां बड़ी – 14
बोरावड़ – 4
लाडनूं – 16
कुचामन – 20
परबतसर – 9
डेगाना – 6
गच्छीपुरा – 6
शिकायत ही नहीं मिली
एनपीए लेने के बावजूद घर पर या क्लीनिक में मरीज से फीस लेने वाले चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है, लेकिन हमारे पास किसी की शिकायत नहीं आई। शिकायत आने पर कार्रवाई की जाएगी।
– डॉ. मेहराम महिया, सीएमएचओ, नागौर

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