गौरतलब है कि मोहम्मद यूनूस समिति की सिफारिश पर 4 मार्च 1989 को पर्यटन को उद्योग का दर्जा देने वाला राजस्थान भारत का प्रथम राज्य था। राज्य सरकार के पर्यटन विभाग ने पर्यटन की दृष्टि से राजस्थान को 9 सर्किट एवं एक परिपथ में विभाजित किया है। राजस्थान में सर्वाधिक पर्यटक (देशी व विदेशी दोनों) अजमेर के पुष्कर एवं सिरोही के माउण्ट आबू में आते हैं। राज्य में दो पर्यटन त्रिकोण हैं, जिनमें दिल्ली-आगरा-जयपुर को स्वर्णिम त्रिकोण तथा मरू त्रिकोण में जैसलमेर-बीकानेर-जोधपुर को शामिल किया गया है।
मरू सर्किट – जैसलमेर- बीकानेर- जोधपुर- बाड़मेर
शेखावाटी सर्किट – सीकर- झुंझुनू
ढुंढ़ाड़ सर्किट – जयपुर- दौसा- आमेर-
ब्रज मेवात सर्किट – अलवर- भरतपुर- सवाईमाधोपुर- टोंक
हाड़ौती सर्किट – कोटा – बुंदी – बारा – झालावाड़
मेरवाड़ा सर्किट – अजमेर – पुष्कर – मेड़ता – नागौर
मेवाड़ सर्किट – राजसमंद, चित्तौडगढ़़, भीलवाड़ा
वागड़ सर्किट – बांसवाड़ा – डूंगरपुर
गौडवाड़ सर्किट – पाली – सिरोही – जालोर
ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से नागौर का इतिहास काफी मजबूत एवं रोचक रहा है। नागौर, खींवसर, कुचामन के प्राचीन किले, यहां के प्राचीन मंदिर एवं मेलों की प्रसिद्धी देश-विदेश तक हैं। साथ मरू त्रिकोण से सटा होने तथा मेरवाड़ा सर्किट से जुड़ा होने के कारण यहां थोड़े-से प्रयास से पर्यटन उद्योग को नई ऊंचाइयां प्रदान कर सकते हैं। गौरतलब है कि राजस्थान में सर्वाधिक पर्यटक माउण्ट आबू व पुष्कर में आते हैं, पुष्कर शहर न केवल नागौर जिले से जुड़ा है, बल्कि मेरवाड़ा सर्किट में पुष्कर के साथ नागौर के मेड़ता व नागौर को भी जोड़ा हुआ है, ऐसे में यदि मेड़ता-पुष्कर को रेल लाइन से सीधा जोड़ दिया जाए तो पर्यटन उद्योग की सूरत बदल सकती है।
पहले जहां नागौर के रामदेव पशु मेले में विदेशी पर्यटकों को ठहराने के लिए आरटीडीसी की ओर से टेंट लगाकर विशेष व्यवस्था की जाती थी, वह अब पिछले कई वर्षों से नहीं की जा रही है। मेला मैदान में बना आरटीडीसी का कुरजां होटल भी शराबियों व जुआरियों का अड्डा बना हुआ है। इसक साथ पर्यटन विभाग की ओर से मेले में आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रम भी खानापूर्ति वाले बनकर रह गए हैं।
नागौर के रामदेव पशु मेले में पर्यटकों के लिए टेंट लगाकर रहने व खाने की व्यवस्था करने वाली दिल्ली की कम्पनी के प्रतिनिधि ने बताया कि वे पिछले 10 साल से यहां टेंट लगाकर पर्यटकों को फाइव स्टार होटल की सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इस मेले में पर्यटकों की संख्या लगातार घट रही है। पहले जहां 60 से 70 टेंट लगाए जाते थे, वहीं इस बार मात्र 27 टेंट लगाए गए हैं।
हमारी कम्पनी नागौर पशु मेले में पिछले 10 साल से टेंट लगाकर पर्यटकों के ठहरने की व्यवस्था कर रही है। 10 वर्ष पहले जहां 70 से अधिक टेंट लगाए जाते थे, वहीं इस बार मात्र 27 टेंट लगे हैं। पर्यटकों का मुख्य रुझान ऊंटों की तरफ रहता है, लेकिन नागौर पशु मेले में ऊंट मेला मैदान की बजाय कॉलोनियों में बंधे रहते हैं, जिसके कारण पर्यटक न तो ढंग से फोटो कर पाते हैं और न ही एक साथ ऊंट देख पाते हैं। इसके साथ कॉलोनियों में पर्यटकों के साथ दुव्र्यवहार भी होता है, जिससे कई बार पर्यटकों का दल टूर कैंसल कर बीच में ही चला जाता है। मेले में पशुपालन विभाग व पर्यटन विभाग को काफी सुधार करने की आवश्यकता है।
– राजेश तंवर, मैनेजर, आगमन इंडिया ट्रेवल एंड लिविंग कम्पनी
इस बार मेले में पर्यटक तो काफी आए हैं, कुछ चीजें बदली हैं, लेकिन हमारा प्रयास अधिक से अधिक पर्यटकों को यहां तक लाने का रहता है, इसके लिए हमने इस बार कार्यक्रमों में भी वृद्धि की है।
– संजय जोहरी, उप निदेशक, पर्यटन विभाग, अजमेर