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नागौर

सरकार और कर्मचारियों की जिद्द, फंस गया आम यात्री

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नागौरSep 20, 2018 / 12:11 pm

Jyoti Patel

rajasthan news

सरकार और कर्मचारियों की जिद्द, फंस गया आम यात्री

नागौर. राजस्थान राज्य रोडवेज कर्मियों के संयुक्त मोर्चे की हड़ताल और सरकार के बीच में आम फंस गया है। रोडवेज का व्यापक दायरा एवं प्राइवेट से सुरक्षित यात्रा की सुविधा लेने वाले आम यात्री परेशान होने लगा है। शहर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में इस हड़ताल के कारण लोगों को न केवल गंतव्यों तक पहुंचने में परेशानी होने लगी है, बल्कि मजबूरी में प्राइवेट बसों में सफर करने वालों को अब छतों पर जान जोखिम में डालना पड़ रहा है। चौथे दिन की हड़ताल लगातार चलने से राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम के अकेले नागौर आगार के राजस्व घाटे का आंकड़ा करीब 48 लाख तक जा पहुंचा है, वहीं जिले भर में डीडवाना एवं मेड़ता तथा कुचामन आदि क्षेत्रों का जोडऩे पर यह राशि अब करोड़ों में पहुंच गई है।
इस संबंध में गुरुवार को पत्रिका टीम जिला मुख्यालय के केन्द्रीय बस स्टैंड पर पहुंची, और हड़ताल के चलते प्रशासन को कोस रहे यात्रियों से बातचीत हुई तो उन्होंने अपनी परेशानियों के बारे में बताया। यात्रियों का कहना था कि रोडवेज की हड़ताल व सरकार के बीच चल रहे संघर्ष में उनको मुश्किलें क्यों झेलनी पड़ रही है। जल्द ही इसका समाधान होना चाहिए, नहीं तो आम को इस हड़ताल से क्य लेना-देना है। हमें हड़ताल से क्या लेना-देना केन्द्रीय बस स्टैंड पर गुरुवार को बीकानेर जाने के लिए पहुंचे रामसुमेर, कुचामन जाने के लिए भंवर, परबतसर के लिए नेताराम एवं जयपुर जाने के लिए राजाराम मिले। इनसे बातचीत हुई तो इनका कहना है कि हड़ताल तों कर्मचारियों एवं सरकार के संघर्ष के बीच संघर्ष है। इन दोनों के संघर्ष में आम से सुविधाएं छीनने का अधिकार किसी को नहीं है। इसके बाद भी कर्मचारी एवं सरकार की जिद के बीच उनका जन-जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। जो की बिलकुल सही नहीं है।

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