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नागौर

संकल्प से बदलेंगे सरकारी स्कूलों की सूरत

राजस्थान पत्रिका एवं जिला प्रशासन की संयुक्त मुहिम , निजी स्कूलों से मुकाबिल हो हमारे सरकारी स्कूल

नागौरMay 10, 2018 / 12:40 pm

shyam choudhary

Nagaur patrika

Rabavi Bhadana will now also be seen in dress code

शिक्षकों की सहभागिता से आएगा बड़ा बदलाव

बदलाव की तस्वीर – 1
कक्षा कक्षों में सीसीटीवी कैमरे, साफ सुथरा परिसर, चारों और हरियाली और बच्चे ही नहीं शिक्षक भी यूनिफॉर्म में। जी हां यह एक सरकारी स्कूल की तस्वीर है। यह स्कूल है सीकर जिले के गांव होल्या का बास का राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय। स्कूल के संस्था प्रधान विनोद कुमार शर्मा ने प्रयास शुरू किए तो हर ओर से सकारात्मक सहयोग मिलता चला गया और अब यह स्कूल एक आदर्श स्कूल बन गई।
बदलाव की तस्वीर -2
कक्षा कक्ष में लगी एलईडी पर पढ़ाते शिक्षक, प्रार्थना सभा में फर्राटे से अंग्रेजी सहित अन्य भाषाओं में अभिव्यक्ति देते बच्चे और हरियाली से आच्छादित परिसर। धन की कमी से कभी पोषाहर बनना बंद नहीं हुआ क्योंकि शिक्षकों ने जिम्मेदारी समझी और खुद की जेब से राशि जमा कर पोषाहर की व्यवस्था। यह तस्वीर है नागौर जिले के ही मांझवास स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय की। जहां शिक्षक ओम प्रकाश सेन के कार्यवाहक संस्था प्रधान होने के बावजूद समूचे स्टाफ और ग्रामवासियों के सहयोग से हो रहा कार्य जिले में मिसाल है।
बदलाव की तस्वीर -3
प्रदेश के दौसा जिले के बांदीकुई उपखंड क्षेत्र के राजकीय माध्यमिक विद्यालय धांधोलाई में सभी शिक्षक पूर्ण गणवेश के साथ गले में पहचान पत्र भी लगाकर आते हैं। धांधोलाई के इस विद्यालय में यह शिक्षकों के साथ गैर शैक्षिक स्टाफ भी गणवेश में आते हैं। यह शुरुआत करीब डेढ़ साल पहले प्रधानाध्यापक नवनीत पाठक ने शुरू की। पाठक ने ग्रामीणों के सामने एक उदाहरण पेश करने के लिए अपने स्टाफ के सामने ड्रेस कोड लागू करने का प्रस्ताव रखा और स्टाफ के सदस्यों ने उसे सहर्ष स्वीकार कर लिया।

नागौर. सोशल मीडिया पर सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की किरकिरी करते मैसेज अक्सर देखे जाते हैं। इन संदेशों की हकीकत भी कमोबेश वही होती है, जो बताई जाती है यानी बदहाल सरकारी स्कूल और मालामाल शिक्षक, दूसरी ओर आदर्श स्थिति में निजी स्कूल और मजबूर निजी स्कूल का शिक्षक। लेकिन इससे उलट प्रदेश में कई सरकारी स्कूल ऐसे भी हैं, जहां शिक्षकों की दृष्ढ़ इच्छा शक्ति और बच्चों के भविष्य को संवारने के जुनून ने उन्हें निजी स्कूलों की प्रतिस्पद्र्धा में ला खड़ा किया है।
ऐसे ही चंद स्कूल समूचे प्रदेश के लिए प्रेरणा है।वही शिक्षक और वही संसाधन, लेकिन तस्वीरें जुदा है। शिक्षा क्षेत्र के जानकारों की माने तो कुछ चंद बदलाव हर स्कूल को मॉडल स्कूल बना सकते हैं। राजस्थान पत्रिका के नींव अभियान के तहत नागौर में जिला प्रशासन ने इसकी पहल कर दी है। इसके तहत हर स्कूल के लिए बदलाव के दस सूत्र तैयार किए गए हैं। शैक्षिक एवं स्वयंसेवी संगठनों की भागीदारी से शुरू होने वाली इस मुहिम में शिक्षकों की महती भूमिका होगी। जिला प्रशासन के प्रयास हैं कि नवीन शिक्षण सत्र के दूसरे चरण यानी आगामी जुलाई माह में जिले का हर स्कूल इस मुहिम में भागीदार बनकर आदर्श प्रस्तुत करे। इसके लिए जल्द ही शिक्षा अधिकारियों को विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए जाएंगे।
‘हर स्कूल-मॉडल स्कूल’ की थीम पर कार्य
फिलहाल सरकार ने हर ब्लॉक में एक मॉडल स्कूल को निजी स्कूलों से प्रतिस्पद्र्धा के लिए तैयार किया है। इन स्कूलों के प्रबंधन और शिक्षा प्रणाली में कई ऐसी बातें हैं, जिन्हें अन्य सरकारी स्कूलों में भी आसानी से लागू किया जा सकता है। इसमें कहीं धन की आवश्यकता होगी तो विद्यालय प्रबंधन समिति और भामाशाह का सहयोग लिया जाएगा। मॉडल स्कूल के टीचर्स यूनिफॉर्म पैटर्न को ही अन्य स्कूलों में लागू किया जाएगा।
फैक्ट फाइल
नागौर जिला ब्लॉक – 14
कुल विद्यालय – 2903
प्राथमिक विद्यालय – 1303
उच्च प्राथमिक विद्यालय – 881
कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय – 14
माध्यमिक विद्यालय – 199
उच्च माध्यमिक विद्यालय – 508

बदलाव के दस सूत्र
1. सभी सरकारी स्कूल भवनों का रंग एक जैसा हो।
2. शिक्षक गणवेश में नजर आएं। गले में परिचय पत्र भी टंगा हो
3. शुरुआती कक्षाओं में डिजिटल क्लास रूम
4. शुरुआती कक्षाओं में खेल-खेल में सीखो पद्धति अपनाई जाए। कक्षाओं में शैक्षिक पेंटिंग्स करवाई जाए। जैसा कि निजी स्कूलों के प्ले गु्रप के लिए होती है।
5. क्लीन स्कूल, ग्रीन स्कूल (हर स्कूल के मैदान में पौधारोपण हो, सफाई के लिए बच्चों को शुरू से प्रेरित किया जाए। स्कूल में डस्टबिन लगे हो)
6. संगीतमय प्रार्थना सभा हो। हर दिन विद्यार्थियों की अभिव्यक्ति क्षमता को उभारने के लिए उन्हें प्रार्थना सभा में सुभाषित या थॉट ऑफ द डे बोलना सिखाया जाए
7. वॉलियंटर टीचर (जिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी हो वहां गांव, कस्बे या शहर के शिक्षित युवाओं को वॉलियंटर टीचर के रूप में जोड़ा जाए, ताकि शिक्षण कार्य प्रभावित ना हो)
8. सप्ताह में एक दिन स्पॉट्र्स ट्रैनर को बुलाकर अलग अलग खेलों की बारीकियां सिखाना। स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस के लिए मार्चपास्ट की तैयारी।
9. हर शनिवार किसी ओरेटर (प्रेरक व्यक्तित्व) या सेलेब्रेटी को विद्यार्थियों से रूबरू करवाया जाए। ताकि उनके संघर्ष और सफलता की कहानी से बच्चे प्रेरित हो सके।
10. स्कूल में पढ़कर आईएएस, आईपीएस, आरएएस, आरजेएस, डॉक्टर, इंजीनियर, सफल राजनेता (कम से कम विधायक, सांसद बने हो लेकिन दागी न हो) के नाम रोल मॉडल के रूप में स्कूल के बोर्ड पर लिखें हो।
शिक्षकों को प्रेरित करेंगे
सरकारी स्कूलों की एक अलग छवि बने। शिक्षकों को ड्रेस कोड में देखकर विद्यार्थियों में भी अनुशासन की भावना जागृत होगी। हालांकि सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड को स्वैच्छिक रखा है। फिर भी शिक्षकों को इसके लिए प्रेरित करेंगे।
– ब्रह्माराम जाट, जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक प्रथम), नागौर
बिल्कुल होना चाहिए
मैं तो यह चाहती हूं कि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड लागू हो। इससे जिले के सरकारी स्कूलों की प्रदेश में अलग पहचान बनेगी। हम कोशिश करेंगे कि शिक्षक इस बदलाव का हिस्सा बनें।
– रजिया सुल्तान, जिला शिक्षा अधिकारी (प्रारंभिक)
छवि बदलने का प्रयास
यह सरकारी शिक्षण संस्थानों की छवि बदलने का प्रयास है। जिसकी शुरुआत शिक्षकों से ही होगी। मुहिम के तहत विद्यालयों में आधारभूत बदलाव लाने के प्रयास होंगे। बच्चों में अनुशासन का भाव लाने की दृष्टि से शिक्षकों का ड्रेस कॉड लागू करने व बौद्धिक उन्नयन क्रियाकलाप इसमें शामिल होंगे।
– कुमारपाल गौतम, जिला कलक्टर, नागौर

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