बुधवार सुबह से जेएलएन अस्पताल के बाहर लोगों की भीड़ जुटना शुरू हो गई। इस दौरान रालोपा नेता नारायण बेनीवाल, भाजपा नेता जगवीर छाबा, यूथ कांग्रेस के जिलाध्यक्ष हनुमान बांगड़ा, गुमानराम डोगीवाल, सोमणा सरपंच अर्जुनसिंह बिडियासर सहित कई अन्य लोग भी अस्पताल पहुंचे। डिस्कॉम में अधिकारियों व ठेकेदार की मिलीभगत से चल रहे फर्जीवाड़े को बंद करने को लेकर कार्रवाई की मांग की।
जिले में पिछले एक सप्ताह में दो युवकों की मौत के बाद जनप्रतिनिधियों एवं ग्रामीणों में काफी गुस्सा देखा गया। जनप्रतिनिधियों का कहना था कि जब कम्पनी को जीएसएस संचालन के बदले पूरा पैसा दिया जा रहा है तो फिर अप्रशिक्षित एवं अनपढ़ लोगों को क्यों रखा जा रहा है। रालोपा नेता बेनीवाल ने डिस्कॉम एसई आरबीसिंह से सवाल करते हुए कहा कि गत 24 जुलाई को हुए हादसे के बाद आपने क्या कार्रवाई की। इस पर पहलीे तो एसई ने गोलमाल जवाब देने का प्रयास किया, लेकिन जब उन्हें घेरा तो उन्होंने हाथ खड़े करते हुए कहा, ‘कम्पनी के खिलाफ कार्रवाई करना मेरे बस का नहीं है। कम्पनी को जो ठेका दिया गया है, वह भी एमडी स्तर पर दिया है।’
अधिकारियों को सुनाई खरी-खरी डिस्कॉम के उच्चाधिकारियों ने हरियाणा की एक ही फर्म को नागौर सहित प्रदेश के कई जिलों में जीएसएस संचालन का ठेका दे रखा है, जिसके बदले हर माह करोड़ों रुपए का भुगतान ठेकेदार को किया जा रहा है। ठेकेदार नियमों को खूंटी पर टांगकर प्रशिक्षिति (आईटीआई होल्डर) कर्मचारियों के स्थान पर अप्रशिक्षित युवकों व अनपढ़ लोगों को जीएसएस पर लगा रखा है, ताकि उन्हें कम मानदेय देना पड़े। ठेकेदार ने जीएसएस पर न तो सुरक्षा उपकरण उपलब्ध करवाए हैं और न ही कार्मिकों का बीमा करवाया है। पिछले एक साल में राजस्थान पत्रिका द्वारा समाचार प्रकाशित करने के बाद अधिकारियों के निरीक्षण में ये सब सामने आया है।
ये अधिकारी रहे मौके पर मौजूद मौके पर नागौर एसडीएम दीपांशु सांगवान, वृत्ताधिकारी सुभाषचंद्र, तहसीलदार ओमप्रकाश सोनी, डिस्कॉम के अधीक्षण अभियंता आरबी सिंह, एक्सईएन मनोज बंसल सहित अन्य अधिकारी पहुंचे और समझाइश के प्रयास किए। ग्रामीणों का कहना था कि ठेकेदार व अधिकारियों की मिलीभगत से बेरोजगार युवाओं की जान के साथ खिलवाड़ हो रहा है, इसलिए दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। लम्बी वार्ता के बाद मुआवजे के 10 लाख रुपए देने की सहमति बनी।
रिपोर्ट आएगी तो करेंगे एफआईआर ठेकेदार कम्पनी के खिलाफ रिपोर्ट मिलने पर हम एफआईआर दर्ज कर नियमानुसार कार्रवाई करेंगे। रिपोर्ट चाहे तो पीडि़त परिवार दे या फिर डिस्कॉम अधिकारी दें। बिना रिपोर्ट हम एफआईआर कैसे दर्ज करें। – डॉ. विकास पाठक, पुलिस अधीक्षक, नागौर