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MDH:’कसूरी मैथी या देगी मिर्च, असली मसाले सच-सच…Ó

महाशय दी हट्टी की टैग लाइन ने नागौर की कसूरी मैथी को लोगों की जुबां तक पहुंचाया, नागौर में बनाए दो बगीचे और सामाजिक सरोकार के तहत करवा रहे कई कार्य

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MDH:'कसूरी मैथी या देगी मिर्च, असली मसाले सच-सच...Ó

MDH:'कसूरी मैथी या देगी मिर्च, असली मसाले सच-सच...Ó

नागौर. 'कसूरी मैथी या देगी मिर्च, असली मसाले सच-सच...Ó की टैग लाइन के साथ विज्ञापन करने वाले धर्मपाल गुलाटी अब नहीं रहे। लेकिन, नागौर की कसूरी मैथी को देश-दुनिया में लोगों की जुबां तक पहुंचा दिया। नागौर से उनका इतना जुड़ाव रहा मानों वे यहीं के थे। पर्यावरण शुद्धि के लिए यहां दो बगीचे बनाए गए हैं। इनमें से एक अभी निर्माणाधीन है। एमडीएच पार्क शहर के सबसे बेहतरीन बगीचों में शुमार है। वहीं निर्माणाधीन बगीचे को भी अलहदा बनाया जा रहा है। नागौर की पान (कसूरी) मैथी को अपने मसाला के विज्ञापन में ही जोड़ दिया गया। ऐसे में यह मैथी हर किसी की जुबां पर आ गई। एमडीएच की इकाई भी संचालित है। कंपनी सामाजिक सरोकारों के तहत शहर में कई कार्य करवा रही है।

उनकी तस्वीर ही एड थी
भारतीय मसालों को देश दुनिया के हर घर तक पहुंचाने वाले महाशय धर्मपाल जी नहीं रहे। 98 वर्ष की उम्र में निधन हो गया, लेकिन वे इतने बरस के कभी लगे नहीं। मसाला ब्रांड एमडीएच के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी को गत वर्ष पदम भूषण से सम्मानित किया गया था। वे अपने प्रोडक्ट का खुद ही विज्ञापन करते थे और उनकी तस्वीर ही एक तरह से उनके मसालों का एड मानी गई।

एमडीएच यानि महाशियां दी हट्टी
एमडीएच मसाले कंपनी का नाम उनके पिता के काराबोर पर आधारित है। उनके पिता महाशियां दी हट्टी के नाम से मसालों का कारोबार करते थे। धर्मपाल गुलाटी ने जब इस कारोबार में हाथ आजमाया तो इसी संस्थान के नाम को शॉर्ट करते हुए एमडीएच बना दिया। दिल्ली के करोल बाग में पहला स्टोर खोला। वर्ष-1959 में आधिकारिक तौर पर कंपनी की स्थापना की थी।