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नागौर

सरकारी कागजों में रोशनी खूब तो घरों में हमेशा गुल ही रहती है बत्ती

80 गांवों में आज भी नहीं है घरेलू फीडर

नागौरJul 22, 2018 / 01:37 pm

shyam choudhary

nagaur hindi news

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नागौर./ खींवसर. सरकार द्वारा गांवों में फीडर सुधार कार्यक्रम के तहत गांवों में घरेलू निर्बाध बिजली सप्लाई के लिए करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा दिए, लेकिन उपभोक्ताओं को कोई फायदा नहीं मिल पाया। एक दर्जन गांवों को छोडकऱ शेष 80 गांवों में आज भी ग्रामीणों को कृषि सप्लाई के साथ घरेलु बिजली मिल रही है। ऐसे में कई बार तो लोड के चलते बल्ब मोमबत्ती की तरह जलते हैं तो कई बार कृषि सप्लाई कटते ही लोगों को अंधेरे में पूरी रात गुजारनी पड़ती है।
जुगाड़ से होती चोरी
घरेलू बिजली के लिए फीडर अलग नहीं होने से यहां आने वाली सिंगल फेज बिजली से किसान अब जुगाड़ में बिजली चोरी कर रहे हैं। वहीं निगम कर्मचारी भी सैल से बिजली चोरी होना स्वीकार कर रहे हैं, लेकिन वह इसके लिए जीएसएस के ठेकेदार एवं कर्मचारियों को जिम्मेदार मान रहे है। उनका कहना है कि ब्लॉक व्यवस्था को लेकर छोटे जीएसएस पर 24 घंटे बिजली दी जाती है मगर घरेलू फीडर के अभाव में किसान घरेलू सप्लाई से सिंगल फेज नलकूप चला रहे है। सिंगल फेज सप्लाई के दौरान किसानों ने विद्युत चोरी के लिए सैल बनाए हैं, जिनके द्वारा एक फेज की बिजली को कनवर्ट किया जा रहा है। यह जोखिम भर कार्य है तथा इसमें कई बार लाइन फाल्ट हो जाती है।


नाम मात्र को मिल रहा लाभ
पांचौड़ी पंचायत समिति की बड़ी ग्राम पंचायत है, लेकिन यहां घरेलू सप्लाई के लिए केवल मुख्य आबादी को ही लाभ मिल रहा है बाकि 50 प्रतिशत घरों में कृषि के साथ विद्युत सप्लाई मिल रही है। कई बार निगम के अधिकारियों को अवगत करवाने के बाद भी वो कोई ध्यान नहीं दे रहे है ऐसे में नाम मात्र की बिजली मिल पा रही है।
देवाराम सुथार, सरपंच पांचौड़ी


अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान
आधे गांव में घरेलू फीडर है और आधी आबादी कृषि सप्लाई के साथ जुड़ी हुई है। कई बार अधिकारियों को अवगत करवाया लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है। आधी आबादी को सिंधिपुरा की कृषि विद्युत सप्लाई के साथ जोड़ देने से ग्रामीणों को पूरी बिजली नहीं मिल पा रही है।
चन्दाराम जाखड़, सरपंच करणू


केवल यहां घरेलू फीडर
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दर्जन भर गांवों में हंै अलग फीडर
सरकार की गाइड लाइन के अनुसार वर्ष 2011 में चार हजार की आबादी वाले गांवों में ही घरेलू सप्लाई के फीडर अलग से बनाने के निर्देश हैं। ऐसे में उपखण्ड क्षेत्र के दर्जनभर गांवों में ही अलग से फीडर बने हुए है। शेष में घरेलू बिजली के साथ ही कृषि बिजली की सप्लाई हो रही है। पूर्व में हुए फीडर सुधार कार्यक्रम की मुझे जानकारी नहीं है।
सुरेन्द्र लोमरोड़, सहायक अभियन्ता विद्युत निगम खींवसर

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