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नागौर

वाद्य यंत्रों की आवाज के साथ गा उठे मन

– मुंह से ढोलक की आवाज निकालकर दी संगत से गायक, श्रोता अचंभित

नागौरMar 12, 2018 / 09:45 pm

shyam choudhary

nagaur news

प्रस्तुति देते कलाकार

नागौर. ना तबले के हाथ लगाया ना ढोलक पर थाप, ना चंग को छेड़ा ना ढोल पर डंके की चोट लेकिन हर कोई इन वाद्यों की आवाज सुनकर हैरान रह गया। जी, हां! राजस्थान पत्रिका तथा भामाशाह किरोड़ीमल कड़ेल के संयुक्त तत्वावधान में रविवार अपराह्न बालसमंद स्थित गीतादेवी कड़ेल भवन में ‘स्वर-साधनाÓ कार्यक्रम में बीकानेर के कलाकार रामदेव राणा ने गायकों तथा श्रोताओं को अनोखी संगत का आनंद देकर आनन्दित कर दिया। ताल वाद्यों की आवाज मुंह से निकालकर तथा लयबद्ध होकर गायकों के साथ संगत की तो कार्यक्रम में मौजूद श्रोता अचंभित रह गए। राणा ने मुंह से अलग-अलग ताल और वाद्य की आवाज मुंह से निकालने के साथ ताल के साथ-साथ तिरकिट भी लगाई। तबले, ढोलक, चंग, ढोल एक और पड़े रहे और राणा ने लगभग दो घण्टे से अधिक गायकों के साथ मुंह से वाद्यों की आवाज निकालते हुए संगत की। अचंभित श्रोताओं की तालियों की गडगड़़ाहट के बीच गायकों के मधुर स्वरों के सफ र ने माहौल में संगीत की मिठास घोल दी। इस मौके शुभारंभ इवेंट्स के स्वरूप देहरा, विजय देहरा, कुशाल कड़ेल, विशाल कड़ेल, प्रितम भट्ट, विजय व्यास, गोविंद कड़ेल, नंदकिशोर कड़ेल ने सहयोग किया।
यह मंच नहीं सौगात है….
बीकानेर से स्वर-साधना में प्रस्तुति देने आए राणा ने कहा कि यह मंच नहीं कलाकारों को पत्रिका की सौगात है। यहां शास्त्रीय रागों की संगत होती है जो इस दौर में मुश्किल है। पत्रिका के इस मंच पर प्रस्तुति देकर वे गौरवांवित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि चार पीढ़ी से उनका परिवार संगीत से जुड़ा है। वे कई बरसों से ढोल आदि बजाते हैं। लेकिन कुछ अनूठा करने के उद्देश्य से उन्होंने मुंह से ढोलक, तबला, चंग, ऑक्टोपेड, ढोल आदि की आवाज निकालने का अभ्यास शुरू किया। पांच वर्ष से वे देश में कई स्थानों पर प्रस्तुतियां दे चुके है। वर्तमान में उनका लक्ष्य इस कला से राजस्थान का नाम देश में रोशन करना है।

इन्होंने दी प्रस्तुतियां….
भजन गायक गोपाल अटल ने जब ‘संसार है इक नदिया, सुख दुख दो किनारे हैंÓ तथा ‘चांद सी महबूबा हो मेरी कब ऐसा मैने सोचा थाÓ सुनाई तो श्रोता गदगद हो गए। वहीं जैन समाज के गायक श्रेयांस सिंघवी ने ‘झिल-मिल सितारों का आंगन होगा, रिम-झिम बरसता सावन होगाÓ की प्रस्तुत से आनंदित कर दिया। युवा गायक मुन्ना सोनी ने ‘सांवरिया अरज मीरां री सुण रेÓ, ‘एक मेरा दौर है ये कोई नहीं किसी काÓ सहित एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। संगीत शिक्षक एल.के. झा ‘मंगल भवन अमंगल हारीÓ से वातावरण भक्तिमय कर दिया। वहीं युसूफ बक्षी ने गज़लों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में महेश पारीक तथा नरेन्द्र पारीक ने प्रस्तुतियां दी। युवा गज़ल गायक देवेन्द्र त्रिवेदी ने आरम्भ में गणेश वंदना की। इस मौके पर तबले पर प्रभुदयाल जांगीड़, अजय व्यास, कुमरकांत झा ने संगत की।

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