लॉकडाउन में जिन बुजुर्गों की मृत्यु हुई थी, उनके परिजनों ने अखबार में विज्ञापन छपवाकर इस बात की सूचना दी थी कि कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए बैठक, डांगड़ी रात व गंगाप्रसादी के कार्यक्रम स्थगित किए गए हैं, जिससे जिले में कोरोना के संक्रमण को रोकने में काफी मदद मिली। लेकिन अनलॉक-01 में सरकार ने जैसे ही ढील दी, लोगों ने मृत्युभोज करने शुरू कर दिए। हालांकि अनलॉक-01 की गाइडलाइन में भीड़ एकत्र नहीं करने के स्पष्ट निर्देश थे, लेकिन पुलिस एवं प्रशासन की सख्ताई नहीं होने से लोगों ने लापरवाही बरतना शुरू कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप कोरोना का संक्रमण फैलने लगा। गत दिनों ताऊसर व अठियासन की सरहद में एक परिवार में मृत्युभोज की तैयार कर ली गई तथा शाम को खाना भी तैयार कर लिया गया, लेकिन उसी दिन परिवार के लोग कोरोना संक्रमित होने पर खाने को गड्ढ़ा खोदकर जमीन में गाढ़ा गया। इसी प्रकार जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में भी कई जगह मृत्युभोज की खबरें मिली हैं।
सरकारी गाडइलाइन के अनुसार शादियों में 50 से ज्यादा लोगों की भीड़ एकत्र नहीं करने के निर्देश हैं, लेकिन गत एक जुलाई को संखवास में एक परिवार में तीन डीजे व दो हाथी बुलाकर सैकड़ों लोगों की भीड़ एकत्र कर ली। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस को भी दी, लेकिन पुलिस ने अनसुना कर दिया। इसी प्रकार शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले सामाजिक समारोह में भी लोगों की संख्या नियंत्रित रखने के लिए पुलिस एवं प्रशासन को सख्ती बरतनी होगी, अन्यथा कोरोना का संक्रमण रोकना संभव नहीं होगा।