scriptटपकती छत के नीचे पढऩे की मजबूरी | Old school building | Patrika News
नागौर

टपकती छत के नीचे पढऩे की मजबूरी

रूण. निकटवर्ती गांव असावरी में राजकीय आदर्श माध्यमिक विद्यालय असावरी का भवन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हैं ।इस स्कूल में कमरे 50 वर्षों पहले के बने हुए हैं, लेकिन कई वर्षो से जर्जर अवस्था में कमरों के छत की पट्टियां टूटी हुई हैं जिनमें बरसात का पानी सीधा कमरे में आता है, वहीं अभिभावकों ने इस बरसात के मौसम में ऐसी स्थिति में हादसा होने की आशंका व्यक्त की है ।

नागौरJul 21, 2019 / 06:20 pm

Ravindra Mishra

danger on school building

Old school building

बरसात के मौसम में टपकती हुई छत के नीचे विद्यार्थी पढ़ाई करने को मजबूर हैं । वही दूसरी कोई जगह नहीं होने की वजह से शाला स्टाफ भी विद्यार्थियों को इन्हीं कमरों में पढ़ाई कराने के लिए मजबूर हैं । शाला प्रधानाचार्य बाबुलाल ने बताया हमने इस स्कूल की मरमत के लिए कई बार शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों को लिखित में अवगत करा दिया था , लेकिन अभी तक इस स्कूल की और किसी भी अधिकारी ने ध्यान नहीं दिया है । इसी प्रकार ज्यादा बरसात की आशंका होने पर समय से पहले छुट्टी भी करनी पड़ती है। स्कूल में जर्जर कमरों की मरमत के लिए शिक्षा विभाग की ओर से किसी तरह का फंड नहीं मिलने की बात भी शिक्षा विभाग के अधिकारी कर रहे हैं और स्कूल में कक्षा 6 से 10 तक के सभी कमरे जर्जर होने के कारण पता नहीं कब हादसा हो जाए । प्रधानाचार्य ने बताया कि विद्यार्थियों के कमरों सहित शाला स्टाफ का भवन ,कार्यालय भी इसी स्थिति में होने की वजह से बरसात का पानी यहां पर भी परेशानी का सबब बना हुआ है ।वहीं हर अभिभावक बार-बार स्कूल स्टाफ सें जर्जर कमरों की शिकायत करते रहतें हैं और इसी प्रकार इन जर्जर कमरों में अध्ययन करने वाले विद्यार्थी हर समय सदमे में रहते हैं कि कब ऊपर से पटिया या प्लास्टर गिर जाए। गौरतलब है कि इस स्कूल में 200 से ज्यादा विद्यार्थी अध्ययनरत हैं ग्रामीणों ने बताया इस विद्यालय में नामांकन और बढ़ सकता है लेकिन जर्जर कमरों को देखकर कई अभिभावक अपने लाडले को निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाने के लिए मजबूर हैं ,लेकिन जर्जर अवस्था में गिरने के कगार पर इन कमरों की और शिक्षा विभाग का ध्यान नहीं जा रहा है जिससे ग्रामीणों में भारी रोष है।ग्रामीणों ने बताया कि यह विद्यालय लगभग 50 साल से ज्यादा पुराना हैं और समय-समय पर अभिभावको और ग्रामीणो ने कई बार कमरों की मरमत भी कराई हैं मगर अब तो सभी कमरों ने जवाब दे दिया है।
यह विद्यालय भवन 50 साल से ज्यादा पुराना है ,उस वक्त प्राथमिक स्तर की शिक्षा के हिसाब से कमरे बने थे। वर्तमान दौर के हिसाब से सीनियर स्कूल के कमरे बड़े होने चाहिए ।इसीलिए प्रशासन से हमारा अनुरोध है कि पूरे विद्यालय भवन के पुराने कमरों की जगह सभी कमरे वापस नए सिरे से बनाए जाने पर ही समस्या का समाधान होगा ।
फोटो कैप्शन आर एल 220701 रूण. पूर्व सरपंच और एडवोकेट परसराम चौधरी
यह विद्यालय नाम का आदर्श विद्यालय रह गया है, वर्षों पुराने इस विद्यालय को सही कराना बेहद जरूरी हो गया है ।इसके लिए सभी ग्रामीण तन ,मन, धन से सहयोग देने के लिए भी तैयार हैं।
इनका कहना है
स्कूलों में पुराने कार्यों की स्वीकृति नहीं आती हैं ,समसा के तहत नए कार्यों की स्वीकृति ही आती है, इसीलिए इस स्कूल में दूसरे मद से भामाशाह और प्रशासन मिलकर 60-40 के अनुपात से इस भवन की मरमत करा सकते हैं। फिर भी इस स्कूल के नए भवन के प्रस्ताव आते हैं तो हम जरूर उच्च अधिकारियों की राय लेकर सहयोग करेंगे।
अति.मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी हरीराम भाटी नागौर

Home / Nagaur / टपकती छत के नीचे पढऩे की मजबूरी

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो