जिले भर में निजी अस्पतालों एवं प्रयोगशालाओं में जांच के नाम पर मरीजों की जेब पर कैंची चलाने वालों पर लगाम लगाने की नीयत से चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से पंजीकरण कराने के लिए पहले 15 सितंबर तक की तिथि निर्धारित की गई थी, बाद में इसे पंद्रह अक्टूबर तक बढ़ा दिया गया। बताया जाता है विभाग की ओर से तमाम प्रयासों के बाद भी संचालनकर्ताओं ने पंजीकरण में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। स्थिति यह रही कि आवेदन के लिए तिथि निर्धारण के पहले एवं दूसरे माह में आवेदन करने वालों की संख्या तिहाई तक भी नहीं पहुंच पाई।
इस प्रावधान की करनी पड़ेगी पालना
सीएमएचओ डॉ. सुकुमार कश्यप ने बताया कि नैदानिक स्थापन (रजिस्ट्रेशन एवं नियमन) अधिनियम 2010 राजस्थान राज्य द्वारा अधिकृत किया हुआ है। इस अधिनियम की धारा 54 के नियम बनाकर अधिसूचना जारी कर राजस्थान नैदानिक स्थापन (रजिस्ट्रेशन एवं नियमन) नियम 2013 लागू कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा समस्त चिकित्सा संस्थान एवं प्रयोगशालाओं के लिए न्यूनतम मानक तय कर दिए गए हैं। इसके तहत समस्त निजी चिकित्सालय, नर्सिंग होम, मल्टीस्पैशलिटी हॉस्पीटल, डे-केयर, प्रयोगशाला, इग्मेजिंग सेंटर, दंत क्लिनिक चिकित्सालय, पोली क्लिनिक, आयुवेर्दिक चिकित्सक, होम्योपैथी, यूनानी चिकित्सा केंद्र आदि को क्लिनिक एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा।
पंजीकरण तिथि के बाद कराएंगे सर्वे
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी दावा करते हैं कि निर्धारित तिथि के समाप्त होने के बाद जिले भर में विभाग की ओर से दलों का गठन कर सर्वे कराया जाएगा।सर्वे के बाद प्रावधान के अनुसार कार्रवाई भी की जाएगी। पंजीकरण में हीलाहवाली होने की स्थिति में फिर ही इनकी जांच कर सूचीबद्ध करने का काम करेगा, लेकिन वर्तमान में अब तक पंजीकरण के लिए आवेदन करने वालों की संख्या तिथि बढऩे के बाद भी इतनी कम क्यों के सवाल पर चुप्पी धारण कर लेते हैं।
इनका कहना है…
निजी अस्पतालों, लैबों के संचालन करने वालों के लिए पंजीकरा की तिथि फिलहाल 15 अक्टूबर तक बढ़ा दी गई है। अब तक 80 लोगों ने इसके लिए आवेदन भी कर दिया है। तय तिथि के बाद जांच कर प्रावधान के अनुसार कार्रवाई होगी।
डॉ. सुकुमार कश्यप, सीएमएचओ, नागौर