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नागौर

चेतावनी से बेखौंफ संचालन में लगे निजी अस्पताल-लैब

Nagaur patrika latest news.पंद्रह अक्टूबर तक पंजीकरण नहीं तो कार्रवाई की चेतावनी बेअसरNagaur patrika latest news

नागौरOct 01, 2019 / 11:31 am

Sharad Shukla

Private hospitals-laboratory operators will not follow the instructions of the medical department ...

Private hospitals-laboratory operators will not follow the instructions of the medical department …

नागौर. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से निजी हॉस्पिटल एवं प्रयोगशालाओं का संचालन कराने के लिए पंजीकरण नहीं कराने पर विभागीय कार्रवाई की चेतावनी के बाद भी स्थिति नहीं सुधरी।

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महज 80 लोगों ने ही आवेदन किया

जिले भर में इनका संचालन करने वालों में से अभी तक महज 80 लोगों ने ही आवेदन किया है। जबकि विभागीय जानकारों के अनुसार निजी लैब एवं अस्पतालों की संख्या करीब दो सौ बताई जाती है। हालांकि पंजीकरण कराने की तिथि 15 अक्टूबर तक कर दी गई है, लेकिन जानकारों का कहना है कि दो माह के प्रयास के बाद भी केवल औसतन लोगों के आवेदन करने से स्थिति खुद-ब-खुद स्पष्ट हो जाती है।
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पंद्रह अक्टूबर तक बढ़ा
जिले भर में निजी अस्पतालों एवं प्रयोगशालाओं में जांच के नाम पर मरीजों की जेब पर कैंची चलाने वालों पर लगाम लगाने की नीयत से चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से पंजीकरण कराने के लिए पहले 15 सितंबर तक की तिथि निर्धारित की गई थी, बाद में इसे पंद्रह अक्टूबर तक बढ़ा दिया गया। बताया जाता है विभाग की ओर से तमाम प्रयासों के बाद भी संचालनकर्ताओं ने पंजीकरण में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। स्थिति यह रही कि आवेदन के लिए तिथि निर्धारण के पहले एवं दूसरे माह में आवेदन करने वालों की संख्या तिहाई तक भी नहीं पहुंच पाई।
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विशेष कदम नहीं उठाए

जबकि विभाग जानकारों के अनुसार ही जिले के परबतसर, मकराना, जायल, डीडवाना, मूण्डवा, खींवसर, डेगाना, कुचामन, मेड़ता आदि क्षेत्रों में निजी अस्पतालों एवं लैबों की संख्या लगभग दो सौ बताई जाती है। हालांकि अपुष्ट सूत्र यह संख्या तो इससे भी डेढ़ गुना ज्यादा बताते हैं, लेकिन इन पर विभागीय स्तर पर पंजीकरण के लिए अधिकारियों की ओर से किए गए प्रयासों को केवल खानापूर्ति करना बताया जाता है। स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि विभागीय स्तर पर अनाधिकृत रूप से चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को निजी स्तर पर प्रयोगशालाओं एवं अस्पतालों के संचालन एवं इनमें रोगियों के उपचार के साथ होने वाले जांचों की जानकारी तो है, लेकिन विभाग की ओर से पंजीकरण कराने के लिए अभियान स्तर पर विशेष कदम नहीं उठाए गए। यही वजह रही कि पंजीकरण कराने के लिए आवेदन करने वाले तिथि बढऩे के बाद भी इसमें उत्साह दिखाने की जगह उदासीनता दिखाई है। हालांकि विभाग कागजी स्तर पर तो पंजीकरण नहीं कराने की स्थिति में कार्रवाई की बात तो कहता है, लेकिन पंजीकरण में सभी संचालकों के अनिवार्य रूप से शामिल होने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दिए जाने की बात पर यह कहकर चुप्पी साध लेता है कि अभी तो तिथि बढ़ी है, फिर देखा जाएगा। इससे विभागीय कार्यशैली की स्थिति खुद ही स्पष्ट हो जाती है।
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इस प्रावधान की करनी पड़ेगी पालना
सीएमएचओ डॉ. सुकुमार कश्यप ने बताया कि नैदानिक स्थापन (रजिस्ट्रेशन एवं नियमन) अधिनियम 2010 राजस्थान राज्य द्वारा अधिकृत किया हुआ है। इस अधिनियम की धारा 54 के नियम बनाकर अधिसूचना जारी कर राजस्थान नैदानिक स्थापन (रजिस्ट्रेशन एवं नियमन) नियम 2013 लागू कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा समस्त चिकित्सा संस्थान एवं प्रयोगशालाओं के लिए न्यूनतम मानक तय कर दिए गए हैं। इसके तहत समस्त निजी चिकित्सालय, नर्सिंग होम, मल्टीस्पैशलिटी हॉस्पीटल, डे-केयर, प्रयोगशाला, इग्मेजिंग सेंटर, दंत क्लिनिक चिकित्सालय, पोली क्लिनिक, आयुवेर्दिक चिकित्सक, होम्योपैथी, यूनानी चिकित्सा केंद्र आदि को क्लिनिक एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा।
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पंजीकरण तिथि के बाद कराएंगे सर्वे
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी दावा करते हैं कि निर्धारित तिथि के समाप्त होने के बाद जिले भर में विभाग की ओर से दलों का गठन कर सर्वे कराया जाएगा।सर्वे के बाद प्रावधान के अनुसार कार्रवाई भी की जाएगी। पंजीकरण में हीलाहवाली होने की स्थिति में फिर ही इनकी जांच कर सूचीबद्ध करने का काम करेगा, लेकिन वर्तमान में अब तक पंजीकरण के लिए आवेदन करने वालों की संख्या तिथि बढऩे के बाद भी इतनी कम क्यों के सवाल पर चुप्पी धारण कर लेते हैं।
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इनका कहना है…
निजी अस्पतालों, लैबों के संचालन करने वालों के लिए पंजीकरा की तिथि फिलहाल 15 अक्टूबर तक बढ़ा दी गई है। अब तक 80 लोगों ने इसके लिए आवेदन भी कर दिया है। तय तिथि के बाद जांच कर प्रावधान के अनुसार कार्रवाई होगी।
डॉ. सुकुमार कश्यप, सीएमएचओ, नागौर

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