करीब एक हजार घरों की 5000 की आबादी वाले छोटे से गांव जालसू काटेड़ी (नानक) निवासी छोटूराम वैसे तो खुद वन विभाग में फोरेस्टर के पद पर कार्यरत है। मगर वह ‘राजस्थान पत्रिका’ के ‘हरियाळो राजस्थान’ अभियान से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इस साल खुद के स्तर पर पूरे गांव में पौधरोपण करने का फैसला किया। वर्षा ऋतु आते ही उन्होंने पुष्कर की निजी नर्सरियों से 1500 पौधे खरीदे और गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, श्मशान भूमि और सार्वजनिक स्थानों पर युवाओं के साथ गुलमोर, शीशम, बड़, बादाम, नीम जैसे छायादार और फूलदार पौधे लगाने का कार्य शुरू कर दिया। जब उनके इस काम को ग्रामीणों ने देखा तो वह भी इस मुहिम में जुट गए और लगाए गए पौधों की नियमित रूप से देखरेख शुरू कर दी। करीब 500 से अधिक पौधों के ट्री-गार्ड लगाए गए तो बाकी पौधों की सुरक्षा के लिए भी ग्रामीण भूराराम कारेल, लालाराम महिया, सुरेश मेहरा, मूल सिंह, कैलाश शर्मा, हरिराम बेनीवाल, मोटू सिंह, बाबूलाल शर्मा, भंवरलाल महिया सहित ग्रामीणों ने पौधरोपण क्षेत्र में तारबंदी और बाड़ेबंदी का कार्य शुरू करवाया।योजनाबद्ध रूप से शुरू किया कार्य
छोटूराम ने गांव में पौधरोपण का कार्य आधुनिक तकनीक को ध्यान में रखते हुए योजनाबद्ध रूप से शुरू किया है। उन्होंने हर पौधे के बीच निश्चित दूरी रखते हुए पौधों की क्रमबद्ध शृंखला बनाई। इसके लिए पौधरोपण से पूर्व वकायदा जेसीबी मशीन से भूमि का समतलीकरण करवाया गया और फिर गड्ढे खुदवा कर उनमें बालू मिट्टी और जरूरी उर्वरक डालकर पौधरोपण कार्य शुरू किया गया। छोटूराम इस साल करीब 50 हजार रुपए की लागत से 1500 पौधे लगवा चुके हैं।सरकारी स्कूल में 700 तो मुक्तिधाम में लगाए 500 पौधे
छोटूराम गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय परिसर और उसके आसपास के सार्वजनिक क्षेत्र में विद्यार्थियों और युवाओं के सहयोग से 700 पौधे लगा चुके हैं। इसी तरह उन्होंने झुंझार विद्या मंदिर में 50 पौधे लगाए। गांव के मुक्तिधाम में 500 पौधे लगाने के साथ ही अन्य सार्वजनिक स्थलों पर अब तक कुल 1500 पौधे लगा चुके हैं। उल्लेखनीय है, कि पिछले साल भी छोटूराम ने खुद के स्तर पर गांव में 500 पौधे लगाए थे और अब इस साल 1500 पौधे लगाकर यह साबित किया है, कि पर्यावरण संरक्षण के लिए वह कितने सजग है। बाकी युवाओं को भी ऐसे प्रेरणास्पद कार्यों में रुचि लेने की जरूरत है, ताकि हमारे आसपास के वातावरण को स्वच्छ एवं हरा-भरा बनाया जा सके।