राजनीतिक दलों के टिकट पर चुनाव लडऩे के इच्छुक लोग पहले से ही अपने दल के साथ जुड़े हुए हैं। हालांकि दलों की ओर से अभी इनको हरी झंडी मिलने का इंतजार है, लेकिन वे लोग अपना ग्राउंड बनाने में जुट चुके हैं। वार्ड में स्थिति मजबूत दिखने पर ही इनको टिकट मिल सकेगा।
इस बार कुछ नए चेहरें भी चुनाव मैदान में दम ठोक सकते हैं। इस तरह के लोग अपने पसंदीदा वार्ड में सेवाएं दे रहे हैं। लेकिन, इनको भी आरक्षण निर्धारित होने का इंतजार था। ऐसे में वे पसंदीदा लग रहे दो-तीन वार्डों में काम कर रहे थे। अब स्थिति स्पष्ट हो चुकी है तथा वे इनमें से किसी एक वार्ड में जी जान से प्रयासरत हो सकेंगे। इस तरह के अधिकतर प्रत्याशी निर्दलीय के तौर पर ही मैदान में आएंगे।
जातिगत आधार पर बहुमत मिलने की उम्मीद वाले लोगों ने भी अपने वार्ड पहले से ही तय कर लिए थे। आरक्षण तय होने के बाद अब खुलकर मैदान में आ सकेंगे। वैसे इस तरह के वार्ड में एक ही जाति के एक साथ प्रत्याशी मैदान में उतर जाते हैं तब स्थिति गंभीर होने लगती है। इन सबके बीच अप्रत्याशित परिणाम ही सामने आता है।