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नागौर

शिक्षकों ने प्रेरित कर मुहैया करा दी बस

लाख परेशानियों के बावजूद एक सरकारी स्कूल ने मिसाल की कायम, आठ साल से कार्यवाहक प्रधानाध्यापक निभा रहे है अपना कर्तव्य

नागौरSep 04, 2018 / 06:24 pm

Dharmendra gaur

Padu News

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पादूकलां. सरकारी स्कूलों में संसाधनों की कमी किसी से छिपी नहीं है, लेकिन इन सब खामियों के बावजूद कुछ सरकारी स्कूल बेहतर प्रदर्शन कर प्राइवेट स्कूलों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं।आज कहानी नागौर जिले के डेगाना तहसील में पहाड़ी की तलहटी में बसे ग्राम आछोजाई की है जहां लाख परेशानियों के बावजूद एक सरकारी माध्यमिक स्कूल ने मिसाल कायम की है। घर से स्कूल की दूरी ज्यादा होने पर कई अभिभावक अपनी लाडलियों को स्कूल भेजने से कतराते थे। जिसके चलते हर साल बेटियों के न चाहते हुए भी पढ़ाई बीच में ही छोडऩी पड़ती थी। इसकी जानकारी स्कूल प्रधानाध्यापक को मिली तो प्रवेशोत्सव के दौरान नजदीकी ग्राम जानेसर में शिक्षक पांचाराम गढ़वाल व दुर्गाराम घटियाला ने डोर टू डोर संपर्क कर विद्यालय के स्टाफ द्वारा ग्रामीणों को ट्रांसपोर्ट वाउचर की सुविधा के बारे में जानकारी दी। जिससे प्रेरित होकर अभिभावकों ने अपनी लाडलियों व मासूम बच्चों के लिए स्कूल जाने के लिए एक बस किराए पर लेकर इस विद्यालय में भेजने का निर्णय तथा ट्रांसपोर्ट वाउचर के अलावा आने वाले खर्च का जिम्मा भी लिया गया है।

ग्रामीण भी कायल
स्कूल के कार्यवाहक प्रधानाध्यापक सुखराम तांडी ने बताया सरकारी स्कूलों के हालात अब बदल रहे हैं। सरकार के प्रोत्साहन के बाद सरकारी स्कूलों में दाखिला लेने की होड़ लगी है। अध्यापक-अभिभावक परिषद की बैठक में सभी अध्यापकों ने सामूहिक निर्णय लिया कि इस विद्यालय में प्राइवेट विद्यालय से भी उच्च परिणाम देने के लिए सदैव प्रयासरत रहते है। प्राईमरी लेवल प्रथम का पद रिक्त होने से पढ़ाई भी बाधित होती थी। इसको लेकर अभिभावकों के समक्ष मांग रखी तो उन्होंने प्राईवेट शिक्षक लगा दिया जिसका वेतन भी अभिभावक उठा रहे है। ग्रामीणों व शिक्षकों की मदद सेे विद्यालय में हमेशा नया नवाचार लाकर नामांकन वृद्धि व उच्च परिणाम देने की कोशिश की जाती है।

स्कूल की खासियत
विद्यालय में हर महीने की अंतिम तारीख को प्रधानाध्यापक द्वारा स्कूल समय पश्चात अध्यापकों की बैठक आयोजित कर हर माह की मासिक समीक्षा की जाती है तथा प्रत्येक छात्र की साप्ताहिक व मासिक प्रगति रिपोर्ट ली जाती है। जिसकी सूचना स्टाफ द्वारा अभिभावकों तक पहुंचाई जाती है। प्राइवेट विद्यालयों के तर्ज पर शीतकालीन व मध्यावधि अवकाश में बोर्ड कक्षाओं के लिए अतिरिक्त कक्षाओं की व्यवस्था की जाती है।

स्कूल की उपलब्धि
अध्यापकों के द्वारा समय-समय पर भामाशाहों को विद्यालय के प्रति प्रेरित किया जाता है जिससे विद्यालय में भौतिक संसाधनों पर लगभग 8 लाख रुपए खर्च किए गए। विद्यालय के नेशनल मीन्स कम मेरिट स्कॉलरशिप में 6 विद्यार्थियों के चयन के साथ दसवीं बोर्ड परीक्षा में छात्र कमल किशोर ने 88.33 अंक हासिल किए है।

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