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नागौर

दूभर हो गया सफर, शिकायत पर कार्रवाई सिफर

आग बरसाती गर्मी में यात्रा करना मुश्किल भरा साबित हो रहा है। ट्रेन आरक्षित कोच जनरल से बन गए हैं, वहीं लगभग सभी ट्रेन तय समय से देरी से आ-जा रही हैं।

नागौरMay 23, 2024 / 09:30 pm

Sandeep Pandey

-रिजर्वेशन कोच बने जनरल डिब्बे

बस में कुछ परिचालकों के पैसे लेकर टिकट नहीं देने की शिकायत

नागौर. आग बरसाती गर्मी में यात्रा करना मुश्किल भरा साबित हो रहा है। ट्रेन आरक्षित कोच जनरल से बन गए हैं, वहीं लगभग सभी ट्रेन तय समय से देरी से आ-जा रही हैं। उडऩ दस्ते ना ट्रेन ना ही रोडवेज बस में चैकिंग करते दिख रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार करीब एक पखवाड़े से नागौर से जयपुर होकर कोटा जाने वाली ट्रेन हो या फिर दादर/बांद्रा ही नहीं दिल्ली सराय रोहिल्ला, अधिकांश ट्रेन में इन दिनों यात्रा करने वाले लोगों की परेशानी जुबां पर आ रही है। शिकायत करें किससे, ट्रेन में मौजूद जिम्मेदार यात्रियों की परेशानियों को नजर अंदाज कर रहे हैं। लोग अपनी पीड़ा सुनाएं किसे, कुछ तो जानते ही नहीं और कुछ इससे अब भी बच रहे हैं। कुछ पढ़े-लिखे जागरूक मेल के जरिए शिकायतें जिम्मेदारों तक भेजते भी हैं पर लम्बी प्रक्रिया और बाद में शिकायतकर्ता के पीछे हटने से भी रेलवे अफसरों की ओर से कार्रवाई नहीं हो पाती।
गत शुक्रवार को रात में नागौर स्टेशन से जाने वाली गंगानगर-कोटा ट्रेन में भी यही हाल दिखा। एस-वन कोच में लोग गैलरी तक में सो रहे थे, यही नहीं एक-एक बर्थ पर दो जने आराम से यात्रा कर रहे थे। कोच के जिम्मेदार एक बारगी भी किसी से पूछने नहीं आए।
सूत्र बताते हैं कि पिछले कुछ समय से नागौर से आने-जाने वाली ट्रेनों में यही हो रहा है, कभी खाली बर्थ पर सामान्य टिकट वाले कब्जा कर रहे हैं तो कभी सामान्य टिकट वाले रिजर्वेशन कोच की गैलरी या बर्थ के बीच की जगह पर आराम से सफर कर रहे हैं। पता चला है कि आए दिन इस मुद्दे पर झगड़े हो रहे हैं। यात्री सफर करे या फिर जिम्मेदार को ढूंढे, कुछ समझदार ही इसकी शिकायत फोन पर या मेल के जरिए दे रहा है। उस पर कार्रवाई हो रही है, इसका भी कोई खासा आंकड़ा नहीं है। कुछ शिकायतें स्टेशन मास्टर तक भी पहुंचती हैं पर कई बार शिकायतें सच से परे पाई जाती हैं।
लोगों की पीड़ा

इस संदर्भ में पिछले कुछ दिनों से रेल का सफर करने वाले यात्रियों से हुई बातचीत में यह सच सामने आया। एक महिला ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि वो परिवार के साथ गंगानगर-कोटा ट्रेन में यात्रा कर रही थी, हालत यह थी कि कहीं से लगा ही नहीं कि वो रिजर्वेशन कोच में है। दस-पंद्रह यात्री तो जमीन पर सोते मिले। एक-दो बार कोशिश भी की, पूछा जब आपका रिजर्वेशन नहीं है तो यहां क्यों? इस पर बस वो कहते रहे कि टीटी साब से बात हो गई है। एक-एक बर्थ पर दो-दो लोग, जाहिर सी बात है कि इनमें एक तो बिना रिजर्वेशन होगा। कपिल नामक युवक का कहना था कि वो भी ऐसे ही फंस गया था, ट्रेन में टिकट चैक करने वाले से कहा तो बोले, हटा देंगे, आपकी बर्थ तो मिल गई ना। अब उन्हें क्या बताते कि इस रिजर्वेशन कोच को जनरल क्यों बना रहे हो। ऐसे ही कई लोगों ने अपनी इसी तरह की पीड़ा बताई, ट्रेन खूब देरी से आ-जा रही हैं, यात्रियों को स्टेशन पर भी पूरी सुविधा नहीं मिल पा रही। इस भीषण गर्मी में स्टेशन पर यात्री ट्रेन का इंतजार कैसे कर रहे हैं, ये वो ही जानते हैं।
बसें भी ठसाठस, हालत खराब

नागौर या फिर आसपास से आने-जाने वाली रोडवेज बसों का हाल भी बेहाल है। सवारियों से ठसाठस भरी बसें भी कायदे-कानून की अवहेलना कर रही हैं। छोटी दूरी पर जाने वाले यात्रियों को टिकट नहीं दिए जा रहे। कई बार इस बात को लेकर कण्डक्टर व यात्रियों में झड़प तक हो रही है। यही नहीं बसें भी निर्धारित समय पर आ-जा नहीं रही है।चांदी कूट रहे हैं निजी वाहनगर्मी में छुट्टियों का सीजन, बीच में शादी-ब्याह। ऐसे में निजी वाहनों की रेलमपेल के सामने प्रशासन बौना हो गया है। ओवरलोड वाहनों की चैकिंग नहीं हो रही ना ही ट्रेवल्स के साथ प्राइवेट बसों पर कोई रोक-टोक है। आलम यह है कि बिना दस्तावेजों की चैकिंग के खुलेआम दौड़ रहे हैं। रात में जाने वाली निजी बस और ट्रक में नियम विरुद्ध तरीके से अन्य माल/सामान की सप्लाई हो रही है।
इनका कहना

रेल यात्रियों को किसी तरह की असुविधा हो तो शिकायत के लिए फोन करे, स्टेशन मास्टर/जीआरपी/आरपीएफ ही नहीं ट्रेन में मौजूद अधिकारियों को भी इस बारे में बताए। बिना शिकायत के किसी पर कैसे कार्रवाई होगी।
-रामसिंह, स्टेशन अधीक्षक, नागौर ।

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