साथ रहते हैं, साथ खाते हैं
ईद पर कुर्बानी के लिए पाले जाने वाले बकरों के लिए विशेष सुविधाएं मुहैया करवाई जाती है। मुस्लिम परिवार के लोग खुद जहां रहते हैं, सोते हैं, खाते हैं, वहीं बकरों के लिए भी सारी व्यवस्थाएं की जाती है। गर्मियों के दिनों में कूलर एवं पंखे के नीचे रखा जाता है। जहां बैठते हैं, वहां साफ बालू रेत बिछाई जाती है। सर्दियों में कम्बल-रजाई तक ओढ़ाई जाती है।
बकरों को पालने वाले मोहम्मद ईस्माइल अंसारी ने बताया कि बकरों के खान-पान पर भी उतना ही ध्यान दिया जाता है, जितना उनके रहन-सहन पर। एक-एक बकरे को रोजाना दो किलो दूध पिलाने के साथ स्पेशल डाइट भी दी जाती है, ताकि बकरे में चर्बी ज्यादा बढ़े। अंसारी के पास पलने वाले अजमेरी एवं पंजाबी नस्ल के बकरों की लम्बाई व ऊंचाई किसी शेर से कम नहीं है।
बकरे पालन का काम करने वाले अहतेशामुदीन ने बताया कि वे स्पेशल ऑर्डर पर बकरों को पालते हैं, एक बकरे को पालने के लिए ऊंचे घराने के लोग न केवल अच्छी कीमत देते हैं, बल्कि बकरों की खुराक एवं रखने का खर्चा भी देते हैं। शामुदीन ने बताया कि वे किसी के ऑर्डर पर तो बकरे पालते ही हैं, साथ ही खुद के स्तर पर भी बकरे पालते हैं, जिनकी बाजार कीमत ढाई से साढ़े तीन लाख तक होती है। पूर्व पार्षद मकबूल ने बताया कि वे भी बकरे पालते हैं, उन्होंने अगले वर्ष के लिए बकरा खरीदा है, जिसे अब तैयार कर रहे हैं।