हर माह ठीक हो रहे करीब 550 लीकेज लीकेज ठीक करने पर खर्च हुई राशि की बात करें तो गत 1 अप्रेल से 31 दिसम्बर 18 तक शहर में 15 लाख 96 हजार 612 रुपए का भुगतान किया गया। इस अवधि में शहर के अलग-अलग वार्डों में आम लोगों से प्राप्त शिकायतों पर 4905 लीकेज सुधारे गए। औसतन हर महीने 545 लीकेज पर करीब 1 लाख 77 हजार 401 रुपए व्यय किए गए। चालू वित्त वर्ष में भी खर्च की जाने वाली राशि का आंकड़ा कुछ ऐसा ही है। इसके बावजूद शहर की मुख्य सड़कें व गलियां लीकेज के कारण तलैया बनी नजर आती है। लापरवाही की हद तो तब हो जाती है जब लीकेज से बहकर एकत्र हुआ गंदा पानी टैंकरों से घरों में सप्लाई किया जा रहा है।
एक ही जगह पर बार-बार लीकेज पत्रिका टीम ने शहर में कई ऐसे स्थान चिह्नित किए जहां बार-बार एक ही जगह पर लीकेज हो रहा है। पोल इतनी है कि अधिकारियों की शह पर ठेकेदार लीकेज के स्थान पर क्लीप लगाने के बजाय रबर का ट्यूब लपेटकर भुगतान उठा लेते हैं। कई ऐसे स्थान हैं जहां से शहरी जलप्रदाय योजना अधिकारी भी हर रोज गुजरते हैं लेकिन लीकेज ठीक करने को लेकर गंभीर नजर नहीं आते। ठेकेदारों की मनमर्जी के आगे अधिकारी खुद को बौना समझ रहे हैं। शहर के सुगनसिंह सर्किल, मानासर, शारदापुरम् के पास विजयनगर कॉलोनी, झड़ा तालाब, कुम्हारी दरवाजा क्षेत्र में दर्जनों लीकेज है। जिनसे सड़कें पानी-पानी हो जाती है, लेकिन समस्या का स्थाई समाधान नहीं होता।
शिकायतों का नहीं होता निस्तारण नगर परिषद में विभाग की ओर से एक रजिस्टर में शिकायतें दर्ज की जाती है, लेकिन ये शिकायतें रजिस्टर की शोभा बनकर रह जाती है। कई बार जागरूक नागरिक किसी वार्ड या क्षेत्र विशेष में लीकेज की शिकायत दर्ज करवाते हैं लेकिन आधे अधूरे लीकेज ही ठीक हो पाते हैं। कई कॉलोनियों में पानी तो खूब दिया जा रहा है लेकिन घरों से ज्यादा सड़कों पर बह जाता है। शहर की मुख्य सड़कें लीकेज के कारण समय से पहले उधड़ जाती है, लेकिन जिम्मेदारों की इसकी परवाह नहीं है। लीकेज लाइनों का पानी पेयजलापूर्ति लाइनों में मिलने से घरों में दूषित पानी की आपूर्ति होती है जिससे लोग बीमार पड़ते हैं।
पुरानी लाइनें लीकेज का कारण कई जगह पुरानी लाइनें होने से लीकेज की ज्यादा समस्या है। शिकायत मिलने पर प्राथमिकता से लीकेज ठीक करवाते हैं। अमृत में नई लाइनें डालने के बाद लीकेज की समस्या कम होगी। जोधाराम विश्नोई, आयुक्त नगर परिषद,नागौर