बताया गया कि महाशीर का संवर्धन होगा और बीज तैयार कर बाद में नर्मदा एवं तवा नदी में डाले जाएंगे। कलेक्टर नीरज सिंह के माध्यम से जमीन विभाग को ट्रांसफर किए जाने की प्रक्रिया जल्द पूरी होगी।
हैचरी के निर्माण के लिए जिला कलेक्ट्रेड राजस्व विभाग से प्रस्तावित जमीन को सहायक संचालक मत्स्योद्योग विभाग के नाम ट्रांसफर कराने के लिए प्रक्रिया चल रही है। इस पर तय की जाने वाली एजेंसी हैचरी का निर्माण करेगी। निर्माण के बाद इस पर मत्स्य महासंघ काम करेगा।
लोनावाला-भीमावरम की तर्ज पर रहेगी हैचरी
मुंबई के पास लोनावाला और नैनीताल के पास भीमावरम में चल रही सफल हैचरी की तरह ही महाशीर के लिए हैचरी बनाई जाएगी। तवा डैम के पास इस पर करीब 2 करोड़ 91 लाख रुपए की राशि खर्च होगी। केंद्र सरकार से राशि की मंजूरी हो गई। नर्मदापुरम की हैचरी के निर्माण में करीब एक साल का समय लगेगा।
इसलिए खत्म हो रहा अस्तित्व
जिले में बिना बीज उत्पादन एवं संवर्धन के नहीं होने और अत्याधिक मत्स्याखेट के कारण महाशीर मछलियों की संख्या घट गई है। नर्मदा-तवा में पानी में से रेत के अंधाधुंध अवैध खनन, बढ़ते प्रदूषण एवं नदी के किनारों की जैवविविधता को नष्ट कर दिए जाने से इस मछली का अस्तित्व ही खत्म होने की स्थिति में आ गया है। साथ ही मछलियों के प्रजनन, बीज उत्पादन नहीं होने के कारण भी संकट बढ़ रहा है। इसका असर मछली पालन व्यवसाय से जुड़े हजारों मछुआरा परिवार भी बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे हैं।
नर्मदा-तवा की प्रमुख मछली महाशीर-बाड़स के संवर्धन के लिए तवा डैम के पास जमीन प्रस्तावित की गई है, जिसमें बड़ी हैचरी यानी बीज उत्पादन एवं विकास केंद्र बनाया जाएगा। इस पर करीब 2.91 करोड़ रुपए की राशि खर्च होगी। एक साल के भीतर ये हैचरी बनकर तैयार हो जाएगी।
-राजीव श्रीवास्तव, सहायक संचालक मत्स्योद्योग विभाग, नर्मदापुरम
मध्यप्रदेश के लिए बेहद खास है
मध्यप्रदेश की राजकीय मछली महाशीर है। महाशीर मछली का वैज्ञानिक नाम Tor putitora है। इसको स्पोर्ट्स फिश के नाम से भी जाना जाता है। स्थानीय लोग इसे नर्मदा की रानी भी कहते हैं। मध्यप्रदेश सरकार ने वर्ष 2011 में महाशीर को राजकीय मछली घोषित किया था। महाशीर मुख्यतः नर्मदा नदी बेतवा केन चम्बल नदी में पाया जाता है जो कि अब विलुप्त होने की कगार पर है।