ऐसे में वन विभाग ने सोचा है कि जंगल से होकर गुजरने वाली नदियों और प्राकृतिक नालों के पानी को सरंक्षित किया जाए। इसके लिए नरसिंहपुर, गोटेगांव, गाडरवारा, बरमान परिक्षेत्र में जगह-जगह चेक डैम बना भी दिए गए हैं। साथ ही नए डैम के निर्माण के लिए योजना तैयार है। सबकुछ ठीक रहा तो अगले महीने तक इन डैम का निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा।
नरसिंहपुर वन परिक्षेत्र अधिकारी दिनेश मालवीय कहते है कि जंगल के प्राकृतिक जलस्त्रोत ऐसे स्थान होते है जहां वन्यजीव अधिकतर पानी पीने के लिए पहुंचते है। लिहाजा ऐसे जलत्रोतों को संवारने और उनकी सफाई कराने के दौरान यह भी ध्यान रखना पड़ता है कि उन्हें इस तरह तैयार किया जाए कि वन्यप्राणियों को वहां तक आने में कोई दिक्कत न हो। वन्यप्राणियों की अपनी सुरक्षा के प्रति ज्यादा संवेदनशीलता की दृष्टि से जलस्त्रोत तैयार करते समय सभी पहलूओं का ध्यान रखा जा रहा है। जंगल से लगे गांवों के लोगों को भी सर्तक किया जा रहा है कि वह गर्मी के दिनों में यदि कोई वन्यजीव आबादी क्षेत्रो में आए तो इसकी सूचना तत्काल विभाग को दें ताकि रेस्क्यू टीम के जरिए उसे सुरक्षित वापस जंगल में भेजा जा सके।
इसी सोच के साथ वन विभाग ने सभी परिक्षेत्रो में गर्मी के मौसम को ध्यान में रखते हुए जंगल और वन्यजीवों की सुरक्षा लिए अमले को सचेत कर दिया है। सभी स्थानों पर रेस्क्यू टीम को निर्देश दिए गए है कि सतत सक्रिय होकर वन्यजीवों की सुरक्षा में जुटे रहें। सघन वन क्षेत्र में जो चेक डैम पूर्व से बने हैं साथ ही जो प्राकृतिक जलस्त्रोत हैं उनकी सफाई कराई जा रही है। जंगल के जिन पोखरों, झिरिया-नालो में पत्ते-घास आदि का कचरा जमा है उसे निकलवाया जा रहा है। साथ ही पहाड़ी नदियों के पानी के प्रवाह को बाधित करने वाले कचरे की सफाई कराई जा रही है ताकि पहाड़ी नदियों का पानी जंगल में अच्छी तरह से प्रवाहित रहे और कहीं पानी की समस्या से वन्यजीव प्रभावित न रहें।
“वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए सभी जरुरी इंतजाम किए जा रहे है। गमी में कोई वन्यजीव आबादी क्षेत्र में न आएं इसके लिए रेस्क्यू टीम को तो सर्तक किया ही गया है। साथ ही जंगल में नालों पर चेक डैम बनाए है, झिरियानुमा नाले है उनकी सफाई कराई जा रही है। कुछ स्थानों पर नए डैम बनाए जाएंगे। नरसिंहपुर, गोटेगांव, गाडरवारा रेंज में अभी कार्य कराया जा रहा है।”-महेंद्र कुमार, डीएफओ नरसिंहपुर