यात्रा का स्वरूप यह है कि लोगों से बातचीत करना और नर्मदा दर्शन करना। सन 60 से स्वयंसेवक संघ से जुड़ा सन 2000 को 2 वर्ष की छुट्टी ली अध्ययन के लिए। अध्ययन के दौरान पाया कि ग्रामीण गरीबी नहीं घटी, अपराध, बेरोजगारी, कमजोर वर्ग का नुकसान रहा, महिला सम्मान में कमी आई। सबको भोजन सबको काम के लिए व्यवस्था जरूरी है, स्वदेशी विकास भी आवश्यक है। कौटिल्य शोध संस्थान से मैं जुड़ा, बाद में राष्ट्रीय स्वाभिमान का गठन साथियों से मिलकर किया।
20 वर्ष अध्ययन अवकाश को हो चुके हैं, हमने गंगा जी की यात्रा की अब नर्मदा जी की यात्रा पर हूं। हमने पाया जैव संपदा नष्ट हुई है। देश का सत्ता प्रतिष्ठान बाजारवाद के अनुकूल होने से जनकल्याण कर पायेगा ऐसी सत्ता प्रतिष्ठान की आम सहमति बनी हुई है। सत्ता प्रतिष्ठान काअभिप्राय है भारत के 5 आधार स्तंभ। भारत को भारत के नजरिये से देखा जाना चाहिए, भारत के संदर्भ में सहभागिता से चलना चाहिए। वोट की राजनीति के अपने तकाजे हो सकते हैं, मैंने दो दलों को देखा है। सत्ता राजनीतिक दल की अपनी सीमाएं हैं इसलिए सीमित अपेक्षाएं रखनी चाहिए। सत्ता का झुकाव सिर्फ 10 प्रतिशत जनता पर जाता है, यह बात सभी दलों पर लागू होती है।
जल स्तर बढ़े, फसल बढ़े, मवेशी बढ़े तब विकास माना जाए, अंग्रेज जब गए तब एक व्यक्ति पर 1 गौवंश था और आज 7 व्यक्तियों पर 1 गौवंश है। हमारा मानना है कि विविधता का देश है तो देश में समाज के बीच काम करने वाले लोगों की डायरेक्टरी बन जाये। जिला स्तर पर सिविल सोसाइटी बने, सबको मिलाकर गूंथना पड़ेगा, अच्छे लोगों को एकजुट करने होगा। केवल गरीबों की बात करना मोनोपॉली नहीं हो सकती जैसे कि देशभक्ति मोनोपॉली नहीं है। अखिल भारतीय स्तर पर संवाद, प्रदेश स्तर पर सहमति और जिला स्तर पर जुड़ाव यह आवश्यक है।
मैं मानता हूं कि कृषि पर सुझाव है, एमएसपी पर कानून का जामा पहना दे, एडीएम के साथ 10 लोगों को जोड़कर ट्रिब्यूनल बना लें। हर पंचायत में गौ सदन, हर जिले में गौ अभ्यारण हो। संपूर्ण गौ वध रोकने कानून बनना चाहिए।
–केएन गोविंदाचार्य