किसान यूरिया के लिए परेशान है। उनका कहना है कि बारिश कम होने से फसलों की हालत पहले से ही खराब है। किसी तरह मोटर पंप चला कर धान को बचाने को खेत भर रहे हैं। मक्का की सिंचाई किसी तरह कर पा रहे है। अब समय पर यूरिया का छिड़काव नहीं किया गया तो फसलों की ग्रोथ प्रभावित होगी। गाडरवारा, चीचली क्षेत्र के किसानों का कहना है कि पहले उन्हें एक एकड़ में एक बोरी यूरिया मिलती थी और 10 एकड़ की बही पर 10 बोरी मिल जाती थी। लेकिन अब लिमिट तय कर दी गई है कि एक बही चाहे वह कितने भी एकड़ की हो उस पर 5 बोरी ही यूरिया मिलेगा। किसानों का कहना है कि इससे किसानों की परेशानी और यूरिया की कालाबाजारी दोनो ही बढ़ेगी। कम रकबे की बही वाले किसान जो 5 बोरी यूरिया ले रहे हैं वो उपयोग के बाद बची यूरिया निश्चित तौर पर दूसरे किसानों को बेंचेगे।
आलम यह है कि इस कोरोना काल में किसान को जैसे ही पता चलता है कि फलां जगह पर यूरिया मिलने वाली है वो सुबह से ही कतार में लग जाते है। वहां देह की दूरी का भी खयाल नहीं होता। साफ-सफाई भी मुकम्मल नहीं होती है। ऐसे में कोरोना संक्रमण का भी खतरा बना रहता है, लेकिन मजबूरी है। यूरिया नहीं मिलेगा तो फसल खराब होगी। उसकी बाढ़ पर असर पड़ेगा। कई किसानों का कहना है कि पर्याप्त यूरिया न मिलने से ही उन्हें कई बार भटकना पड़ रहा है। जिन किसानों का रकबा अधिक है उन्हें अधिक यूरिया की जरुरत है लेकिन कम मात्रा में यूरिया मिल रहा है। वैसे जिले में अब तक दो बार में 6 हजार टन यूरिया की खेप आ चुकी है और अभी भी यूरिया की मांग बनी हुई है, जिससे आने वाले दिनों में 3-3 हजार टन की दो और रैक आने की संभावना जताई जा रही है।