जेल परिसर में संचालित गौशाला में इस समय 59 गोवंश है जिनसे प्राप्त गोबर का उपयोग गोकाष्ठ बनाने के साथ ही गोबर गैस प्लांट में किया जा रहा है। गोबर गैस का उपयोग जेल की रसोई में किया जा रहा है। प्रायोगिक तौर पर शुरू किए गए 6 क्यूबिक टन गोबर गैस प्लांट का फायदा जेल प्रबंधन को मिल रहा है। गोबर गैस का उपयोग जेल के अस्पताल में भर्ती होने वाले कैदियों का चाय नाश्ता और भोजन पकाने में किया जा रहा है। जिससे शुरुआत में जेल की रसोई में उपयोग होने वाली एलपीजी गैस की खपत कम हुई है। जेल में हर माह 1000 कैदियों की भोजन व्यवस्था पर 250 से 270 गैस टंकियों की खपत होती थी जिसमें अब 3 से 5 टंकियों की कमी आई है। जेल में बने अस्पताल में भर्ती होने वाले 50 से 60 कैदियों का भोजन गोबर गैस से पकाया जा रहा है। गोबर गैस प्लांट तैयार करने से लेकर गैस की सप्लाई लाइन डालने आदि का काम खुद जेल प्रबंधन ने किया। इसमें अक्षय ऊर्जा के प्रभात कनौजिया ने तकनीकी रूप से मदद की जबकि स्थानीय समाजसेवियों में कमल स्टोर ने सप्लाई लाइन डालने के लिए पाइप आदि उपलब्ध कराए। गैस बनाने में गोबर के उपयोग के बाद जो अवशिष्ट निकल रहा है उसका उपयोग लोगों द्वारा अपने बगीचों में खाद के रूप में किया जा रहा है। जेल गौशाला समिति द्वारा गोबर से गोकाष्ठ आदि भी बनाए जा रहे हैं जो हवन व अन्य कार्यों में उपयोग किए जाते हैं। गोशाला इनकी बिक्री से होने वाली आय गोशाला के विकास व अन्य व्यवस्थाओं में खर्च करती है।
वर्जन
जेल परिसर में स्थित गौशाला से निकलने वाले गोबर के उपयोग से 6 क्यूबिक टन का गोबर गैस प्लांट स्थापित किया गया है। गोबर गैस से जेल के अस्पताल की रसोई संचालित की जा रही है। गोबर गैस के उपयोग से रसोई गैस सिलेंडरों की खपत में कमी आई है।
शेफाली तिवारी, जेल अधीक्षक