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नरसिंहपुर

कमाल का स्कूल… छात्र 110 और शिक्षक एक भी नहीं

कुंडा हाइस्कूल का हाल, बिना टीचर के पढ़ रहे विद्यार्थी, अध्यापक नहीं होने से चौपट हो रहा बच्चों का भविष्य, जिम्मेदार बेसुध

नरसिंहपुरJul 31, 2018 / 11:43 am

deepak deewan

Student 110 and not a teacher

Student 110 and not a teacher

नरसिंहपुर. गोटेगांव के आदिवासी बाहुल्य इलाके में मौजूद हाइस्कूल में पढऩे वाले ११० विद्यार्थी परीक्षा कैसे पास करेंगे यह सोचनीय है। यहां पर कोई प्राइवेट स्कूल भी नहीं होने से 2016 में आदिवासी बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए हाइस्कूल तो खोल दिया गया। साथ ही यहां पर करीब एक करोड़ की लागत से स्कूल भवन का निर्माण भी कराया जा रहा है। हाइस्कूल में एक भी नियमित शिक्षक को पदस्थ करने की सुध किसी भी अधिकारी या नेता ने नहीं ली है। इसके कारण उक्त शाला में एक भी शिक्षक कार्यरत नहीं है।

गोटेगांव तहसील मुख्यालय से २० किलोमीटर दूर जनपद पंचायत गोटेगांव की ग्राम पंचायत कुंडा है यहां पर आदिवासी परिवारों की संख्या अधिक है। यहां पर कक्षा नौवी में 50 एवं कक्षा दसवीं में 60 बच्चों ने प्रवेश लिया है। वर्तमान समय में उक्त बच्चे माध्यमिक शाला के भवन में बैठ रहे हैं। अपने-अपने कमरों में बच्चे बैठ कर पुस्तक खोले हुए नजर आए, लेकिन उनको पढ़ाने वाले शिक्षक नहीं मिले। माध्यमिक शाला में कार्यरत रामदास ठाकुर का कहना है कि हाइस्कूल में कोई शिक्षक नहीं होने से इन बच्चों की व्यवस्था का कार्य वह देख रहे हैं। वहीं माध्यमिक शाला में अध्ययनरत 70 बच्चों को सरिता ठाकुर देख रही हैं। इनका कहना है कि जब से हाइस्कूल खुला है तबसे यहां पर एक भी नियमित शिक्षक की पदस्थापना नहीं की गई है। अभी तक अतिथि शिक्षक पदस्थ करके बच्चों को पढ़ाने का कार्य होता था, लेकिन अभी तक उक्त कार्य पूरा नहीं होने से पढ़ाई का कार्य पूरी तरह से प्रभावित हो रहा है। यह नियुक्ति कब तक होगी इसका भी कोई भरोसा नजर नही आ रहा है। वह बच्चों को कमरों में बैठा कर उनसे जो बनता है वह बच्चों को थोडा बहुत अध्ययन करा देते हैं।

आदिवासी बाहुल्य उक्त इलाके में कई नेता लोग समय-समय पर आकर आदिवासियों को एकत्रित करके सुविधाएं मुहैया कराने आश्वासन देकर चलते जाते हैं। मगर उन आदिवासी नेताओं ने कभी बच्चों के भविष्य की कोई चिंता नही की है, जबकि यहां के सांसद स्वयं आदिवासी हैं। जिन सरकारी शालाओं में बच्चों की दर्ज संख्या अधिक है और शाला भी बच्चे अध्ययन करने के लिए नियमित आते हैं। ऐसे स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की पदस्थापना में लापरवाही बरत कर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

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