चिट्ठी में कहा गया कि दबाव, भ्रामक जानकारियों और सार्वजनिक अपमान के जरिए न्यायपालिका की साख गिराने की कोशिशें की जा रही हैं। भ्रामक सूचनाएं और न्यायपालिका के खिलाफ कोशिशें न सिर्फ अनैतिक हैं, बल्कि लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों के भी खिलाफ है। यह चिट्ठी ऐसे समय लिखी गई है, जब भ्रष्टाचार के मामलों में विपक्षी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई को लेकर केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी दलों के बीच जुबानी जंग जारी है।
पूर्व जजों ने चिट्ठी में आलोचकों पर अदालतों और जजों की ईमानदारी पर सवाल उठाने का आरोप लगाया। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने के इरादे से गलत तरीके अपनाए जा रहे हैं। चिट्ठी में कहा गया कि इस तरह की कोशिशें न्याय और निष्पक्षता के सिद्धांतों के लिए सीधी चुनौती हैं।