बेंच में शामिल जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. पारदीवाला ने तुषार मेहता से कहा, हमें बताएं कि आपने क्या किया है और कोर्ट ने शुरू में दो महीने का समय दिया था और अब इसे अगस्त तक बढ़ा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ-साफ कह दिया कि, वह जांच पूरी करने के लिए अनिश्चितकालीन विस्तार नहीं दे सकती।
अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दलील पेश करते हुए कहाकि हाल के वर्षों में और कई शिकायतों के बावजूद, सेबी ने कुछ नहीं किया। सेबी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 2016 से Adani Group पर लगे आरोपों की जांच तथ्यात्मक रूप से निराधार है।
सेबी ने यह आगाह किया कि रिकॉर्ड पर पूरे तथ्य सामग्री के बिना मामले का कोई भी गलत या समय से पहले निष्कर्ष न्याय के उद्देश्य की पूर्ति नहीं करेगा और कानूनी रूप से अस्थिर होगा। सेबी के मामले में समय के विस्तार के लिए आवेदन का मतलब निवेशकों और प्रतिभूति बाजार के हित को ध्यान में रखते हुए न्याय सुनिश्चित करना है।
सेबी ने कहा, न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (एमपीएस) मानदंडों की जांच के संदर्भ में, सेबी पहले ही अंतरराष्ट्रीय प्रतिभूति आयोगों के संगठन (आईओएससीओ) के साथ बहुपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमएमओयू) के तहत ग्यारह विदेशी नियामकों से संपर्क कर चुका है। सूचना के लिए नियामकों से अनुरोध किए गए थे। विदेशी नियामकों के लिए पहला अनुरोध 6 अक्टूबर, 2020 को किया गया था।