केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मारन और अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार मामले की जांच की थी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इन लोगों के खिलाफ मनीलांङ्क्षड्रग के आरोपों को भी खंगाला था। सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में मारन पर आरोप लगाया था कि पूर्व केंद्रीय मंत्री ने मलेशिया की मैक्सिस कंपनी के मालिक टी आनंदन कृष्णन के साथ आपराधिक साजिश रची थी।
ईडी ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि मॉरीशस की दो कंपनियों ने पूर्व केंद्रीय मंत्री को 742 करोड़ 58 लाख रुपए का भुगतान किया था। इन कंपनियों का मालिकाना हक कलानिधि मारन के पास था और धन को इन कंपनियों ने अपने कारोबार के लिए इस्तेमाल किया।
विशेष जज ने सभी को बरी करते हुए कहा कि इन सभी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद नहीं थे। दयानिधि मारन पर आरोप था कि उन्होंने चेन्नई की दूरसंचार कंपनी के प्रवर्तक शिवशंकर पर 2006 में एयरसेल और उसकी सहायक फार्मों में अपनी हिस्सेदारी मलेशियाई कंपनी मौक्सिस समूह को बेचने का दबाव बनाया था। पूर्व मंत्री ने अपने ऊपर लगे इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज किया था।