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Atal Bihari Vajpayee Jayanti : अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ी कुछ रोचक बातें

Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary : एक महान वक्ता, एक सम्मानित राजनेता और एक अविश्वसनीय इंसान अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले में हुआ था। पंडित नेहरू के बाद अटल जी भारत के ऐसे प्रधान मंत्री थे जो तीन बार इस पद पर रहे।

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Shekhar Suman

Dec 25, 2021

Atal Bihari Vajpayee Jayanti : अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़े कुछ रोचक बातें

Atal Bihari Vajpayee Jayanti : अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़े कुछ रोचक बातें

Atal Bihari Vajpayee Birthday : अटल जी की जीवन यात्रा रोचक और प्रेरणास्प्रद रही है। आज जयंती के अवसर पर उनकी जीवन यात्रा से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों पर चर्चा करते हैं, जिन्हें हरेक भारतीय को अवश्य जानना चाहिए। अटल जी के पिता का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी तथा माता का नाम कृष्णा देवी था। अटल जी कुशल राजनेता होने के साथ-साथ हिन्दी कवि, पत्रकार व एक प्रखर वक्ता भी थे। भारत रत्न अटल जी की याद में उनकी जयंती 25 दिसंबर को प्रतिवर्ष सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरु के बाद वे ऐसे दूसरे नेता थे जो तीन बार भारत के प्रधानमन्त्री बने। अटल जी क्रमशः 13 दिन, 13 महीने तथा पांच साल (1999 से 2004 ) प्रधानमंत्री रहे। एक प्रधानमंत्री के रूप में अटल जी की छवि एक इमानदार व जनप्रिय नेता की रही, जिन्हें अपनी पार्टी के साथ विपक्ष भी पसंद करता था। भले वो भारतीय जनता पार्टी के नेता थे मगर लाल बहादुर शास्त्री के बाद दूसरे ऐसे प्रधानमत्री रहे जिन्हें पूरा देश अपना प्रधानमंत्री और नेता मानता था।

क्रिसमस के दिन जन्मे

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 (क्रिसमस डे) को हुआ था। यह भी संयोग है कि महामना मदन मोहन मालवीय और नवाज शरीफ का जन्म भी 25 दिसंबर को हुआ था ।

दसवीं कक्षा में पहली कविता लिखी

अटलजी ने बचपन से ही कविता लिखना शुरू कर दिया था। जब वे 10 वीं कक्षा में थे, उन्होंने अपनी प्रसिद्ध कविता , हिंदू तन मन, हिंदू जीवन, राग राग हिंदू- मेरा परिचय... लिखी।

ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन का विरोध करने पर जेल भी गए।

एक किशोर के रूप में वाजपेयी ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन का विरोध करने के लिए कुछ समय के लिए जेल भी गए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और जन संघ से जुड़ने से पहले उन्होंने साम्यवाद को भी परखा । मात्र 16 वर्ष की आयु में अटल जी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के एक सक्रिय सदस्य बन गए।

मराठी में भी धाराप्रवाह

अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी के साथ साथ मराठी में भी पारंगत थे। उन्होंने वीर सावरकर की कविताओं का मराठी से हिंदी में अनुवाद किया।

नॉन-वेज खाने के शौकीन

अटल बिहारी वाजपेयी जन्म से ब्राह्मण थे लेकिन उन्हें मांसाहारी खाना बहुत पसंद था। उनका पसंदीदा भोजन झींगा था और पुरानी दिल्ली में उनका पसंदीदा रेस्तरां करीम था।

उनके पिता उनके सहपाठी थे

अटल बिहारी वाजपेयी और उनके पिता एक दूसरे के सहपाठी थे। वह और उनके पिता कानून की पढ़ाई के लिए एक ही लॉ कॉलेज (कानपुर में डीएवी कॉलेज) में गए और उन्होंने छात्रावास में एक ही कमरा भी शेयर किया।

दो मासिक के संपादक

अटल जी दो मासिक-राष्ट्रधर्म और पांचजन्य के संपादक भी रहे।

नेहरू ने भविष्यवाणी की थी कि वह पीएम बनेंगे

जब अटल बिहारी वाजपेयी ने भारतीय संसद में अपना पहला भाषण दिया, तब जवाहरलाल नेहरू (तत्कालीन भारत के प्रधान मंत्री) ने भविष्यवाणी की कि किसी दिन वह भारत के प्रधान मंत्री बनेंगे।

विदेश मंत्री के रूप में पहला कार्यकाल

1977 में, अटलजी को मोरारजी देसाई सरकार में विदेश मंत्री बनाया गया । साउथ ब्लॉक में अपने ऑफिस में प्रवेश करने पर जब नेहरू जी का फोटो ग़ायब पाया तो उन्होंने उसे वापस लगाने का तुरंत आदेश दिया।

एक बेटी को गोद लिया

उन्होंने कभी शादी नहीं की और आजीवन कुंवारे रहे लेकिन उनकी एक गोद ली हुई बेटी है जिनका नाम नमिता भट्टाचार्य है।

अटल बिहारी वाजपेयी की कविताएं

अटल जी की कविताएं को केवल आम भारतीय ही नहीं बल्कि दूसरी पार्टी के लोग और विपक्ष भी सुनना पसंद करते है। पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह भारतीय राजनीती का भीष्म पितामह बुलाते थे। अटल जी की कविताये इनकी शौर्य पूर्ण और तेज़ होती थी कि वो पत्थर में भी जान डाल दे।

3 सीटों से चुनाव लड़ा

दूसरे आम चुनाव (1957) में उन्होंने 3 निर्वाचन क्षेत्रों - बलरामपुर, लखनऊ और मथुरा से चुनाव लड़ा। वह बलरामपुर से जीते लेकिन मथुरा और लखनऊ से हार गए।

6 लोकसभा क्षेत्र

वह 4 राज्यों के 6 लोकसभा क्षेत्रों से जीतने वाले एकमात्र सांसद हैं। बलरामपुर (यूपी), लखनऊ (यूपी), नई दिल्ली, विदिशा (एमपी), ग्वालियर (एमपी), गांधी नगर (गुजरात)।

सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले सांसदों में से एक

अटल जी 47 साल संसद के सदस्य रहे जिसमे लोकसभा से 11 बार और राज्यसभा से 2 बार सांसंद बने।

UN में हिंदी में बोलने वाले पहले व्यक्ति

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में भाषण देकर हिंदी को अंतरराष्ट्रीय मंच पर गौरवान्वित किया। वह संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में बोलने वाले पहले व्यक्ति बने।

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