पार्टी में टूट के बाद लोक जनशक्ति पार्टी के पांच सांसद एक तरफ और पूर्व अध्यक्ष रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान एक तरफ अकेले हैं। अब चर्चा है कि लोक जनशक्ति पार्टी के पशुपति कुमार पारस गुट के तीन सांसद एनडीए छोड़कर महागठबंधन में शामिल होने का मन बना रहे हैं। राजनीति के अंदरखाने से इसकी सुगबुगाहट तेज हो चली है। बिहार की राजनीति के जानकारों के अनुसार तीन सांसद जल्द ही पाला बदलने बनाने है।
एनडीए छोड़कर महागठबंधन के पाले में जाने वाले लोजपा (पारस गुट) के तीन सांसदों में खगड़िया के सांसद महबूब अली कैसर, वैशाली की सांसद वीणा देवी और नवादा सांसद चंदन सिंह के नामों की चर्चा चल रही है। माना जा रहा है इन तीन सांसदों में महबूब अली कैसर राजद के साथ जबकि वीणा देवी और चंदन सिंह जदयू के साथ जा सकते हैं। हालांकि तीनों सीधे तौर पर इन पार्टियों से जुड़ेंगे या सिर्फ समर्थन करेंगे इसपर अभी तक खुलकर कुछ सामने नहीं आ सका है।
मीडिया रिपोर्ट की माने तो इन तीनों की जदयू अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह से दो दौर की बातचीत भी हो चुकी है। तीनों सांसद अभी पटना में है और किसी भी समय एनडीए से अलग होने की औपचारिक घोषणा कर सकते हैं। इन तीनों सासंदों का राजनीतिक बैंकग्राउंड देंखे यह क्लियर होगा कि तीनों का राजद और जदयू से संबंध रहा है।
खगड़िया के सांसद महबूब अली कैसर के पुत्र युसूफ सलाउद्दीन राजद से सहरसा के सिमरी बख्तियारपुर से विधायक है। वैशाली सांसद वीणा देवी के पति दिनेश सिंह लंबे समय से जदयू के विधान परिषद सदस्य हैं। नवादा सांसद चंदन सिंह के भाई सूरजभान सिंह का भी बिहार के सभी राजनीतिक दलों से मधुर रिश्ता है। उनकी पत्नी वीणा देवी पहले मुंगेर की सांसद थी, जहां के सांसद अभी जदयू अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह है।
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यदि ये तीनों सांसद महागठबंधन के साथ जाते हैं तो सबसे बड़ा झटका पशुपति पारस को लगेगा। जिन्होंने चिराग पासवान से बगावत कर भतीजे प्रिंस राज और इन्हीं तीन सांसदों के साथ अलग पार्टी बना ली थी। जिसकी बदौलत वह आज केंद्र में मंत्री भी बने है। अगर तीनों सांसद अलग होते हैं तो लोजपा में सिर्फ पासवान परिवार से जुड़े लोग ही रह जाएंगे, जिसमें पशुपति पारस और प्रिंस राज रह जाएंगे। हालांकि अभी आधिकारिक तौर पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा।