इसके साथ ही कोर्ट ने फटकार लगाते हुए ये भी कहा कि इन मामलों में पुलिस कमिश्नर और अन्य सीनियर अधिकारियों को निजी हस्तक्षेप करने के लिए बार-बार दिए गए निर्देश दिए गए लेकिन कोर्ट ने इन आदेशों को नजरअंदाज किया गया है।
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दरअसल मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अरुण कुमार गर्ग ने शिकायतों को अलग करने और सभी 7 आरोपियों के मामले में समान रूप से आगे जांच करने के लिए एक अर्जी दायर करने में देरी को लेकर दिल्ली पुलिस पर जुर्माना लगाया। कोर्ट इसके लिए पुलिस पर 25,000 रुपए का जुर्माना लगाया है।
दरअसल मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अरुण कुमार गर्ग ने शिकायतों को अलग करने और सभी 7 आरोपियों के मामले में समान रूप से आगे जांच करने के लिए एक अर्जी दायर करने में देरी को लेकर दिल्ली पुलिस पर जुर्माना लगाया। कोर्ट इसके लिए पुलिस पर 25,000 रुपए का जुर्माना लगाया है।
मजिस्ट्रेट कोर्ट की ओर से की जा रही सुनवाई के सामने विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि अहमद की शिकायत अलग कर दी गई, लेकिन जांच अधिकारी की ओर से दायर स्टेटस रिपोर्ट में उसकी शिकायत को अलग करने के बारे में कोई जिक्र नहीं था।
इस दौरान कोर्ट ने कहा कि IO के शिकायत को अलग करने और मामले में आगे की जांच के आग्रह करने की अनुमति दी जाती है, हालांकि इसमें देरी होने के चलते आरोपियों का बिना वजह उत्पीड़न हुआ, जिसके लिए 25,000 रुपए का जुर्माना लगाया जाता है।
जज ने कहा कि डीसीपी (उत्तर-पूर्व), जॉइंट पुलिस कमिश्नर (पूर्वी रेंज) और पुलिस कमिश्नर, दिल्ली को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से जुड़े मामलों में उनके निजी हस्तक्षेप करने के बार-बार निर्देश दिए, लेकिन इन निर्देशों को नजरअंदाज किया गया।
यह भी पढ़ेँः Delhi: हाईकोर्ट ने कहा- शिकायत की जानकारी मीडिया को देना मानहानि नहीं अदालत ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना को बीते 12 अक्टूबर को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगे से जुड़े मामलों की ठीक से जांच और तत्परता से सुनवाई के लिए उठाए गए कदमों का नतीजा पेश करने का निर्देश दिया था।
इस मामले की आगे जांच जारी रहने के आधार पर बार-बार सुनवाई स्थगित के पुलिस के अनुरोध के कारण उन पर यह जुर्माना लगाया गया था।