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आखिरी बार जहां दपंती साथ रहे, वहीं तलाक की कार्यवाही, जानिए हाईकोर्ट ने ऐसा क्यों कहा

बॉम्बे हाईकोर्ट ने तलाक के एक मामले के फैसले में कहा कि शादी के रिसेप्शन स्थल को शादी का हिस्सा नहीं माना जा सकता। शादी के बाद किसी दूसरे स्थान पर दंपती का रिसेप्शन संबंधित पारिवारिक अदालत को पति-पत्नी के वैवाहिक विवाद निपटाने का अधिकार क्षेत्र प्रदान नहीं कर सकता। आखिरी बार दंपती जहां साथ […]

नई दिल्लीApr 17, 2024 / 08:37 am

Shaitan Prajapat

बॉम्बे हाईकोर्ट ने तलाक के एक मामले के फैसले में कहा कि शादी के रिसेप्शन स्थल को शादी का हिस्सा नहीं माना जा सकता। शादी के बाद किसी दूसरे स्थान पर दंपती का रिसेप्शन संबंधित पारिवारिक अदालत को पति-पत्नी के वैवाहिक विवाद निपटाने का अधिकार क्षेत्र प्रदान नहीं कर सकता। आखिरी बार दंपती जहां साथ रहे, वहीं तलाक की कार्यवाही होनी चाहिए।
जस्टिस राजेश पाटिल की एकल पीठ ने 38 साल की महिला की याचिका पर सुनवाई के बाद उसके खिलाफ बांद्रा की पारिवारिक अदालत के आदेश को रद्द कर दिया। दंपती ने जून 2015 में राजस्थान के जोधपुर में हिंदू रीति-रिवाज से शादी की थी। शादी के चार दिन बाद मुंबई में रिसेप्शन हुआ। रिसेप्शन के 10 दिन बाद दंपती अमरीका चले गए।
करीब चार साल साथ रहने के बाद अक्टूबर 2019 से दोनों अलग रहने लगे। अगस्त 2020 में पति ने क्रूरता के आधार पर बांद्रा की पारिवारिक अदालत में तलाक की याचिका दायर की, जबकि पत्नी ने अमरीका में तलाक की कार्यवाही शुरू की। पत्नी ने बांद्रा की पारिवारिक अदालत में याचिका दायर कर पति की तलाक याचिका खारिज करने की मांग की थी, लेकिन अदालत ने पत्नी की याचिका खारिज कर दी। इसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
मुंबई के वैवाहिक घर होने का तर्क खारिज
हाईकोर्ट ने कहा कि दंपती का अंतिम निवास अमरीका माना जाएगा। मुंबई उनका अंतिम निवास नहीं हो सकता, जहां वे शादी के बाद 10 दिन ठहरे थे। कोर्ट ने पति के इस तर्क को खारिज कर दिया कि वैवाहिक घर मुंबई में होने से मुंबई को वह स्थान माना जाना चाहिए, जहां वे आखिरी बार साथ रहे थे।
पत्नी की दलील
पत्नी ने याचिका में दलील दी थी कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 19 के तहत सिर्फ उस पारिवारिक या जिला न्यायालय में तलाक की याचिका दी जा सकती है, जिसके अधिकार क्षेत्र मे विवाह संपन्न हुआ हो या जहां विवाहित जोड़ा आखिरी बार साथ रहा हो।

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