Domino’s के संचालक ने शिकायत का विरोध करते हुए लिखित रूप से जवाब दिया कि “शिकायतकर्ता को डिलीवरी देने से पहले पेपर बैग खरीदने के बारे में पूछा गया था और जब उन्होंने इसकी पुष्टि की तब उन्हें अन्य सामानों के साथ उसका भी बिल दिया गया था।” शिकायतकर्ता पारस शर्मा ने Domino’s के जवाब को गलत बताया।
दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद आयोग ने कहा कि “विक्रेता माल की पूरी डिलीवरी की स्थिति में डिलीवरी करने के लिए बाध्य है। माल की डिलीवरी का मतलब विक्रेता से खरीदार को पूरी डिलीवरी योग्य स्थिति में भौतिक रूप से सामान सौंपना है। इसके साथ साथ ही कि माल की पैकिंग भी सुपुर्दगी योग्य स्थिति में माल रखने की एक अवस्था है और माल को सुपुर्दगी योग्य स्थिति में लाने के लिए किए गए खर्च को विक्रेता को वहन करना होगा। जैसा कि रिकॉर्ड पर साबित हुआ है कि डोमिनोज इंडिया के स्टोर ने कैरी बैग के लिए शिकायतकर्ता से 12 रुपए की राशि ली थी, डोमिनोज़ इंडिया का उक्त अधिनियम स्पष्ट रूप से अनुचित व्यापार अभ्यास के बराबर है।” जिसके बाद आयोग ने डोमिनोज सेक्टर 15 आउटलेट व जुबिलेंट फूडवर्क्स लिमिटेड को शिकायतकर्ता को 12 रुपए वापस करने का निर्देश दिया, इसके साथ ही मुआवजे के रूप में 1,000 रुपए और मुकदमे की लागत के रूप में 500 रुपए देने का भी निर्देश दिया।