इस खाते में जमा रकम या उस पर लगने वाला ब्याज टैक्स फ्री होगा। यह अभी तक बने नियम के आधार पर जानकारी है। जो रकम इस सीमा से अधिक होगी, उसे एक अलग खाते में जमा किया जाएगा। इस खाते में आने वाली रकम पर जो भी ब्याज मिलेगा उस पर हर साल पीएफ खाताधारक की कमाई की स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा।
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दरअसल, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले बजट में ऐलान किया था कि प्रॉविडेंट फंड अकांउट में हर साल ढाई लाख रुपए से अधिक की रकम जमा हुई तो उसके ब्याज पर टैक्स लगेगा। हालांकि, बाद में विवाद बढ़ा तो केंद्रीय मंत्री ने सफाई देते हुए बताया कि सरकारी कर्मचारियों के लिए और जिन कर्मचारियों के खाते में उनने एंप्लालयर की ओर से कोई पैसा जमा नहीं किया जाता, उन हर साल पांच लाख रुपए तक की रकम पर टैक्स से छूट मिलेगी।
पीएफ अकांउट पर टैक्स वसूलने के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी सीबीडीटी ने इनकम टैक्स की नियमावली-1962 में बदलाव किया है। यहां अब एक नया नियम 9डी जोड़ दिया गया है। इसी नियम में पीएफ खाते को दो भाग में बांटने या दो अलग खाते खोलने की बात कही गई है। इससे पीएफ खाताधारकों के लिए अपने टैक्स का हिसाब लगाना आसान हो जाएगा, क्योंकि टैक्स वाली रकम एक खाते में और बिना टैक्स वाली रकम दूसरे खाते में जाएगी।
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कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ के मुताबिक, भारत में फिलहाल लगभग छह करोड़ पीएफ खाते हैं। ऐसे में लग सकता है कि यह नया नियम बड़ी संख्या में लोगों पर असर डालेगा। लेकिन यह सच नहीं है। दरअसल नए नियम में भी करीब 93 प्रतिशत लोगों पर इसका असर नहीं होगा, क्योंकि उनके खाते में जो रकम जमा होती है, वह इस सीमा से काफी कम होती है। ऐसे में 93 प्रतिशत खाताधारकों को पीएफ अकाउंट पर टैक्स की चिंता करने की जरूरत नहीं है।
पिछले साल पीएफ पर टैक्स को लेकर बढ़े विवाद के बाद राजस्व विभाग ने बताया था कि वर्ष 2018-19 में 1.23 लाख अमीर लोगों ने अपने पीएफ खातों में 62 हजार 500 करोड़ रुपए की रकम जमा कराई है। तब उन्होंने इस बात का खुलासा भी किया था कि एक पीएफ खाता ऐसा भी था, जिसमें 103 करोड़ रुपए की रकम जमा कराई गई थी। यह देश का सबसे बड़ा पीएफ खाता था। वहीं, शीर्ष-20 अमीरों के खाते से 825 करोड़ रुपए की जमा हुई थी।
ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि क्या टैक्स को लेकर ज्यादातर पीएफ खाताधारकों को चिंता करनी चाहिए या नहीं? ज्यादातर लोग यह मान रहे होंगे कि उन पर कोई असर नहीं होगा और सरकार ने टैक्स का जो नियम बनाया है वह बिल्कुल सही है, लेकिन नए नियम में जिस तरह लोगों की सैलरी में पीएफ कटौती बढ़ाने की जो तैयारी है, उसके बाद कई नए लोग इस दायरे में आ जाएंगे और धीरे-धीरे यह आंकड़ा बढ़ता जाएगा।
यदि किसी की सैलरी से हर महीने 20 हजार 833 रुपए या इससे अधिक कटता है या आपके नियोक्ता की ओर से कोई रकम जमा नहीं होती तो आपकी कटौती की रकम 41 हजार 666 रुपए या इससे अधिक है, तब आपको चिंता करना चाहिए और टैक्स कटौती के लिए तैयार रहना चाहिए।