भारत की कूटनीतिक सफलता के बावजूद इस मामले में पहले कतर की चुप्पी और भारत से विवरण साझा नहीं करने का तथ्य दोनों देशों के बीच वार्ता के स्तर और गुणवत्ता को ऊंचा उठाने की जरूरत और गुंजाइश को रेखांकित करता है। कोप-28 बैठक से पहले दोनों देशों के नेताओं को जी-20 बैठक के दौरान भी चर्चा का मौका मिला था, उस समय सकारात्मक बातचीत होती तो खुशी की खबर और जल्दी आ सकती थी। इसमें कोई संदेह नहीं है कि कतर हमेशा से ही भारत के साथ अच्छे संबंध कायम रखना चाहता है, लेकिन वहां के प्रशासन और अमीर को यह भी विश्लेषण करना चाहिए कि अभियोजन पक्ष ने बिना साक्ष्य के इस पूरे मामले की प्रक्रिया को क्यों और कैसे शुरू किया?
के.पी. फैबियन (कतर में भारत के पूर्व राजदूत)
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