क्या होता है साइक्लोन
साइक्लोन हवाओं का बदलता चक्र है। इसके केंद्र में निम्न वायुदाब और बाहर उच्च वायुदाब होता है। दूसरे शब्दों में चक्रवात तेजी से घूमती हुई हवा होती है। जब हवा गर्म हो जाती है तो हल्की होकर ऊपर उठने लगती है। पृथ्वी अपनी एक्सिस पर घूमती है, जिस कारण हवा सीधे न चलकर घूमने लगती है। चक्कर लगाती हुई निम्न दाब वाले क्षेत्र की ओर बढ़ती है। उत्तरी गोलार्ध में एंटी-क्लॉकवाइज, दक्षिणी गोलार्ध में क्लॉकवाइज चक्रवात घूमता है। बता दें कि इसके बनने का कारण तापमान बढ़ना है। तापमान बढ़ने के साथ ही समुद्री सतह गर्म हो जाती है, इससे हवाएं गर्म हो जाती हैं। साइक्लोन का साइज 80 से 300 किलोमीटर तक हो सकता है। चक्रवात पहले गर्मियों में आते थे, लेकिन ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज के कारण यह हर साल आते हैं। साथ ही अब तो सर्दियों में भी आने लगे हैं।भारत के लिए क्यों खतरनाक चक्रवात-
डिजास्टर मैनेजमेंट की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय Coast Line 8493.85 किलोमीटर लंबी है। यह सीमा समुद्र के पूर्वी तट पर ओडिशा, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और पुडुचेरी से लगती है। समुद्र के पश्चिमी तट पर महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, गोवा, केरल और दमन-दीव में लगती है। वहीं अंडमान-निकोबार बंगाल की खाड़ी में है और लक्षद्वीप अरब सागर में है। देश के इन इलाकों में आधाी आबादी रहती है। समुद्र से देश के 13 जिलों के सटे होने के कारण और इन जिलों में आधी आबादी बसने के कारण समुद्र में होने वाली हलचलें भारत के लिए खतरनाक साबित होती हैं।चक्रवातों का नामकरण क्यों है जरूरी
चक्रवातों को कोई एक नाम देना कई कारणों से महत्वपूर्ण होता है। यदि किसी क्षेत्र में एक साथ एक से अधिक चक्रवात बनते है तो इनका नामकरण तूफानों के भ्रम से बचने में हेल्प करता है। नामकरण के कारण लोगों को इससे जागरूक करने और आपदा तैयारियों में भी मदद मिलती है।ऐसे रखा जाता है चक्रवातों का नाम
विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार, मौसम के पूर्वानुमानकर्ता भ्रम से बचने के लिए प्रत्येक उष्णकटिबंधीय चक्रवात को एक नाम देते हैं। आमतौर पर, उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का नामकरण क्षेत्रीय स्तर पर नियमों के अनुसार किया जाता है। बता दें कि हिंद महासागर क्षेत्र के लिए 2004 में चक्रवातों के नामकरण के लिए एक सूत्र पर सहमति बनी थी। इस एरिया के आठ देशों भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, म्यांमार, ओमान और थाईलैंड सभी ने कुछ नाम दिए थे। ऐसे में जब भी कोई चक्रवाती तूफान विकसित होता है, तो उसे क्रमिक रुप से एक नाम दे दिया जाता है। चक्रवात को ऐसा नाम दिया जाता है, जो याद रखने योग्य और उच्चारण में आसान हो। इन नामों को विभिन्न भाषाओं से भी चुना जाता है, ताकि विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को परेशानी न हो। नामकरण प्रणाली समय के साथ विकसित हुई है। शुरुआत में नामों को वर्णानुक्रम के अनुसार चुना जाता था। वर्णमाला के प्रत्येक अक्षर के आधार पर एक नाम रखा जाता था। हालांकि, इस प्रणाली से भ्रम पैदा होता था और नाम याद रखने में कठिनाई होती थी। इसलिए पूर्व-निर्धारित नामों की वर्तमान प्रणाली शुरू की गई। साथ ही आपत्तिजनक या विवादास्पद नाम नहीं रखे जाते हैं।चक्रवातों के क्षेत्र और उनके नाम:
चक्रवातों के नाम | क्षेत्र |
टाइफून | दक्षिण पूर्व एशिया और चीन |
हरिकेन | उत्तरी अटलांटिक पूर्वी प्रशांत क्षेत्र |
विली-विली | उत्तर पश्चिम ऑस्ट्रेलिया |
साइक्लोन | दक्षिण पश्चिम प्रशांत और हिन्द महासागर |
टॉरनैडो यूएसए | पश्चिम अफ्रीका और दक्षिणी संयुक्त राज्य अमेरिका तूफान |