तृणमूल कांग्रेस की सूची में ‘शॉटगन’ शत्रुघ्न सिन्हा एक बार फिर आसनसोल सीट से मतदाताओं के सामने मैदान में हैं। इन अभिनेताओं की सीट पुरानी है, लेकिन चुनाव को लेकर जोश नया है। राजनीतिक दलों की सूचियां अभी बाकी हैं और कई सीटों पर अभिनेताओं की मजबूत दावेदारी है।
इसी तरह अमिताभ बच्चन ने राजीव गांधी के आग्रह पर वर्ष 1984 में इलाहाबाद लोकसभा से चुनाव लड़ा था। बोफोर्स कांड में नाम आने के कारण बच्चन ने तीन साल बाद ही सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली। धर्मेन्द्र ने 2004 में भाजपा के टिकट पर बीकानेर सीट से चुनाव लड़ा और सांसद बने। बाद में, धर्मेन्द्र सक्रिय राजनीति से दूर होते गए। सुनील दत्त 1984 में मुम्बई उत्तर-पश्चिम लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते। यहां से वे पांच बार सांसद चुने गए। मनमोहनसिंह सरकार के समय वे केबिनेट मंत्री भी रहे।
अभिनेता राज बब्बर ने राजनेता के तौर पर पहले समाजवादी पार्टी और फिर कांग्रेस का हाथ थामा। वे तीन बार लोकसभा सांसद चुने गए। इसी प्रकार से अभिनेता विनोद खन्ना ने अभिनय और फिल्मों से सन्यास लेने के बाद राजनीति में कदम रखा और दूसरे अभिनेताओं की तुलना में उनका यह सफर कहीं ज्यादा सफल रहा। 1997 में भाजपा में शामिल हुए और 1998 में गुरदासपुर सीट से पहली बार सांसद चुने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कर विनोद खन्ना चौथी बार संसद पहुंचे। अभिनेत्री जयाप्रदा 1994 में विधानसभा चुनाव की पूर्व संध्या पर टीडीपी में शामिल हुईं और तेजी से पार्टी में उभरीं। उन्हें 1996 में आंध्र प्रदेश से राज्यसभा सदस्य बनाया गया। टीडीपी सुप्रीमो एन. चंद्रबाबू नायडू के साथ मतभेद के चलते वे समाजवादी पार्टी में शामिल हो गईं। वे 26 मार्च 2019 को राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र यादव की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुईं। सनी देओल 2019 में भाजपा के टिकट पर गुरदासपुर सीट से लोकसभा के सांसद बने, लेकिन उन्हें राजनीति रास नहीं आई।