कंपनियों ने नेट प्रॉफिट से अधिक राशि के इलेक्टोरल बांड खरीदे
पिछले पांच साल की अवधि के दौरान इलेक्टोरल बॉण्ड के माध्यम से 50 करोड़ रुपये से अधिक का दान देने वाली कॉरपोरेट संस्थाओं की सूची में कुछ अन्य कंपनियां शामिल हैं जो मुनाफे के रूप में अर्जित राशि से अधिक दान कर चुके हैं।
कुछ कंपनियों ने नेट प्रॉफिट का मैक्सिम हिस्सा दान किया
कुछ कंपनियां ऐसी भी हैं जिन्होंने अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा दान कर दिया है। उदाहरण के लिए आईएफबी एग्रो इंडस्ट्रीज (IFB Agro Industries) को 2019-20 से 2022-23 तक 175 करोड़ रुपये का संयुक्त शुद्ध लाभ हुआ था। इस कंपनी ने 92 करोड़ रुपये या नेट प्रॉफिट की राशि का 53% दान में दिया। इसी तरह हल्दिया एनर्जी (Haldia Energy) ने तीन वर्षों में रुपये का संयुक्त शुद्ध लाभ कमाया। इस कंपनी ने 377 करोड़ रुपये या अपनी कमाई का लगभग 37% योगदान दिया। ऐसा नहीं है कि सभी बड़े दानदाताओं ने अपनी क्षमता से अधिक दान किया। बड़ी सूचीबद्ध कंपनियों में – जैसे खनन और धातु की दिग्गज कंपनियां हैं जिसने काफी बड़ी राशि दान में दी।
इन कंपनियों ने नेट प्रॉफिट की बहुत कम राशि के बांड खरीदे
वेदांता या जिंदल स्टील एंड पावर, प्रमुख फार्मा कंपनी डॉ. रेड्डीज और टोरेंट फार्मास्यूटिकल्स (Vedanta or Jindal Steel and Power and pharma majors Dr Redddy’s and Torrent Pharmaceuticals) – कंपनियां हैं जिन्होंने 50 करोड़ रुपये या उससे अधिक का योगदान दिया। इन कंपनियों ने चार वर्षों में उनके शुद्ध लाभ का 1% से कम दान किया गया। इस चार साल की अवधि में वर्ष 2022-23 का डेटा उपलब्ध नहीं है। कुछ कंपनियों ने अपनी प्रॉफिट का 2-4% तक दान किया।
भारती एयरटेल ने 198 करोड़ रुपये दान में दिए
भारत की सबसे सफल दूरसंचार कंपनियों में से एक भारती एयरटेल (Bharti Airtel) पिछले चार वर्षों के दौरान असाधारण व्यय के कारण घाटे में रही। यही वजह है कि भारती एयरटेल द्वारा दिए गए 198 करोड़ रुपये के दान की गणना मुनाफे के प्रतिशत के रूप में नहीं की जा सकती। कई बड़े दानकर्ता बुनियादी ढांचे, खनन और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों से रहे।
यह भी पढ़ें – New EV Policy: केंद्र सरकार ने नई ई-वाहन नीति को दी मंजूरी, भारत में बढ़ेगा इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण और बाजार