एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, पांचजन्य ने 5 फरवरी, 2023 के अपने नए इश्यू में बीबीसी पर लिखी कवर और अन्य स्टोरी में कई तरह के गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि, बीबीसी फिर से अपनी पुरानी शरारतों पर उतर आया है। और सिर्फ यह कहना पर्याप्त नहीं होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पक्षपातपूर्ण है। बल्कि वास्तव में ब्रिटेन के गार्जियन, इंडिपेंडेंट नामक अखबार और बीबीसी घोर वामपंथी हैं। और इनका भारत के कम्युनिस्टों, वामपंथियों और कांग्रेस के साथ नजदीकी तालमेल का अंदाजा राहुल गांधी की प्रतिक्रिया से लगाया जा सकता है।
पांचजन्य में बीबीसी – कांग्रेस का ‘हिट जॉब’! शीर्षक से लिखी गई स्टोरी में बीबीसी के बारे में कहा गया कि, सुप्रीम कोर्ट से अधिकृत एसआईटी ने लंबी जांच के बाद 2021 में मोदी को हर आरोप से बरी कर दिया था। इस फैसले पर सवाल उठाने वाली एक अन्य याचिका को भी सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल खारिज कर दिया था। ऐसे में अब इस तरह के आरोप लगाने पर बात मानहानि तक जा सकती है इसलिए कांग्रेस खुद जरा भी जिम्मेदारी लिए बिना कहती है, बीबीसी ने आरोप लगाया है।
एजेंसी के अनुसार, पांचजन्य की कवर स्टोरी में टूलकिट है बीबीसी शीर्षक से लिखा गया कि, विश्व की सबसे बड़ी औपनिवेशिक शक्ति ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था की हालत खराब है। देश को संभालने के लिए भारतीय मूल के एक हिंदू को प्रधानमंत्री स्वीकार करना पड़ा। स्प्ष्ट रूप से इसकी ही खीज है कि, ब्रिटेन के सरकारी चैनल बीबीसी ने दो भागों में एक डॉक्यूमेंट्री का प्रसारण किया। इसका उद्देश्य गुजरात दंगों को लेकर उस दुष्प्रचार को दोबारा हवा देना था। जिसकी पोल बहुत पहले खुल चुकी है। इसे ब्रिटिश प्रधानमंत्री सुनुक और सांसद तक खारिज कर चुके हैं।
गुजरात दंगों पर डॉक्यूमेंट्री बनाने को लेकर बीबीसी विवादों में घिर गया है। भारत सरकार का विदेश मंत्रालय इस डॉक्यूमेंट्री को पहले ही खारिज कर चुका है। भारत के 302 पूर्व न्यायाधीश, पूर्व नौकरशाह, पूर्व राजनयिक, और पूर्व सैन्य अधिकारी भी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को नकारात्मकता और पूर्वाग्रह से भरा हुआ पक्षपातपूर्ण आरोप पत्र करार देते हुए इसकी निंदा कर चुके हैं। भारत सरकार भी बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री को बैन कर चुकी है।