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AI का दिखा असर, IIT के 38% छात्रों को नहीं मिला प्लेसमेंट, बढ़ रही बेरोजगारी

Unemployment in India: देश के टॉप शिक्षा संस्थानों में भी तीन सालों से लगातार बढ़ रही बेरोजगारी। छात्रों में बेरोजगारी का असर उनके मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) पर भी गंभीर असर डाल रहा है। इस वर्ष IIT के 6 छात्र आत्महत्या (Suicide) कर जान दे चुके हैं।

नई दिल्लीMay 25, 2024 / 01:42 pm

Akash Sharma

38% of IIT students did not get jobs
IIT Job Placement: सबसे बेहतर कैंपस प्लेसमेंट की चर्चा होने पर सबसे पहले इंडियन इस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ((IIT) का नाम ही जहन में आता है। इन संस्थानों में प्रवेश के लिए छात्रों में भारी मारा-मारी इसीलिए है, क्योंकि यहां से पास होने पर छात्रों को रोजगार के लिए एक दिन भी नहीं बैठना होता। यहां डिग्री हाथ में आने से पहले रोजगार छात्रों के हाथ में होता है। आइआइटी कानपुर (IIT Kanpur) के एक पूर्व छात्र धीरज सिंह के आरटीआइ (RTI) से जुटाए गए आंकड़ों पर भरोसा करें तो 2023-24 में देश के कुल 23 आइआइटी संस्थानों के 38 फीसदी छात्रों यानी करीब एक तिहाई छात्रों को कैंपस प्लेसमेंट (Campus Placement) नहीं मिला। जिनकी कुल संख्या करीब 7000 बैठती है। आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले तीन सालों से प्लेसमेंट नहीं पा सकने वाले छात्रों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। गौरतलब है कि, देश के टॉप इंजीनियरिंग संस्थानों की इस बेरोजगारी को बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी बिट्स के वाइस चांसलर वी रामगोपाल राव ने चैटजीपीटी (ChatGPT) यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) के कारण बढ़ती बेरोजगारी से जोड़ा है। हालांकि, यहां गौर करने वाली बात ये है कि इसमें सिर्फ वही छात्र शामिल हैं जो कैंपस प्लेसमेंट में बैठ थे। आइआइटी में बढ़ी संख्या में ऐसे छात्र भी होते हैं जो प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं, हायर स्टडीज में जाते हैं या फिर अपना ही कुछ स्टार्टअप खोलते हैं। यह छात्र इसमें शामिल नहीं हैं।

AI और चुनावी वर्ष दिखा रहा असर

हर जगह प्लेसमेंट 20% से 30% कम हुए हैं। अगर कोई संस्थान कह रहा है कि सभी छात्रों को नौकरी मिल गई है, तो नौकरियों की गुणवत्ता मनोवांछित नहीं रही। यह पहला वर्ष है जब चैटजीपीटी और लॉर्ज लैंग्वेज मॉडल (AI) ने अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया है। अगर दो लोग ही तीन लोगों का काम कर सकते हैं, तो साफ है कि हम बहुत अधिक नियुक्तियां कर रहे हैं। साथ ही, कई देशों में इस साल चुनाव हो रहे हैं। जिससे कंपनियां इंतज़ार करो और देखो की नीति अपना रही हैं।’
BITS Pilani Group

‘पुराने और नए दोनों आइआइटी में हालात बिगड़े’

RTI के अनुसार, पुराने 9 आइआइटी के आंकड़ें भी कतई बेहतर नहीं हैं। पुराने 9 आइआइटी के 37 फीसदी छात्रों का भी अब तक प्लेसमेंट नहीं हो सका है। जबकि, नए आइआइटी में 2024 में 5100 छात्रों ने प्लेसमेंट के लिए पंजीकरण कराया, पर 2040 (40 फीसदी) छात्रों को जॉब ऑफर नहीं मिल सका। वहीं, पिछले तीन सालों में 14 नए आइआइटी में जहां प्लेसमेंट के लिए छात्रों का पंजीकरण 1.3 गुना बढ़ा है और प्लेसमेंट नहीं पा सकने वाले छात्रों की संख्या 3.8 गुना बढ़ी है। जबकि पुराने 9 आइआइटी में प्लेसमेंट के लिए छात्रों का पंजीकरण 1.2 गुना बढ़ा और प्लेसमेंट नहीं पा सकने छात्रों की संख्या 2.1 गुना बढ़ी है। वी रामगोपाल राव, कुलपति, बिट्स पिलानी समूह का कहना है कि पुराने और नए दोनों आइआइटी में हालात बिगड़े हुए हैं।

6 छात्रों ने की आत्महत्या

छात्रों में बेरोजगारी का असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर डाल रहा है। इस वर्ष, आइआइटी के छह छात्र आत्महत्या कर जान दे चुके हैं, जो बताता है छात्र किस तीव्र तनाव और चिंता का सामना कर रहे हैं। आरटीआइ के आंकड़ों के अनुसार, स्नातकोत्तर पर भी लगभग 61% छात्र अभी भी बेरोजगार हैं।

IIT Placement: हर साल बढ़ रही ‘बेरोजगारी’

साल प्लेसमेंट के लिए रजिस्टर्ड प्लेसमेंट में नौकरी नौकरी नहीं मिली

2022 17,900 स्टूडेंट्स 14,490 स्टूडेंट्स 19%

2023 20,000 के करीब स्टूडेंट्स 15,830 स्टूडेंट्स 21%
2024 21,500 स्टूडेंट्स 13410 स्टूडेंट्स 38%

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