दरअसल, आज प्रधानमंत्री आवास पर एक बैठक हुई जिसमें NSA अजीत डोभाल, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा और कैबिनेट सचिव राजीव गौबा के अलावा केंद्र सरकार के कई वरिष्ठ आईएएस अधिकारी भी शामिल हुए थे। ये बैठक करीब 4 घंटे तक चली। इनमें वो सचिव भी शामिल थे जो राज्य स्तर पर भी काम कर चुके हैं। इसके अलावा कोरोना महामारी के दौरान भी सचिवों ने काम किया था जिसपर पीएम मोदी ने इनसे बैठक के दौरान कहा कि आप लोग एक टीम की तरह काम करें न कि केवल अपने संबंधित विभागों के सचिव के रूप में। इसके साथ ही उन्होंने सचिवों से फीडबैक देने और सरकारी नीतियों में खामियाँ और सुझाव देने के लिए भी कहा।
इसके बाद बैठक में कुछ सचिवों ने कहा कि कुछ राज्य सरकारों की फ्री में बांटने की योजनाएं उस प्रदेश के लिए आर्थिक मुसीबतें आने वाले समय में खड़ी कर सकती हैं। इस लोकलुभावन वादों और योजनाओं से राज्य के कोश पर प्रभाव पड़ता है। पहले ही कई राज्य कर्ज में डूबे हैं। वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि जल्द ही कोई कदम नहीं उठाया गया तो इन राज्यों की हालत श्रीलंका और लेबनान जैसी हो सकती है।
कौन से हैं वो राज्य ?
बैठक में शामिल वो सचिव जो राज्य स्तर पर काम कर चुके हैं उनका कहना है कि कई राज्यों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। चूंकि वो भारतीय संघ का हिस्सा हैं इसलिए वो संभले हुए हैं अन्यथा अब तक कंगाल हो चुके होते। सचिवों ने कहा कि पंजाब, दिल्ली, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की सरकारों ने जनता को लुभाने के लिए जो भी वादे किये हैं वो लंबे समय तक राज्य की अर्थव्यवस्था को टिकने नहीं देगा। ऐसे में समाधान निकालने की आवश्यकता है।
बता दें कि देश के कई राज्यों में सरकारें जनता को लुभाने के लिए मुफ़्त की बिजली दे रही है जिसका सीधा असर सरकारी खजाने पर पड़ रहा है। इससे अन्य सेक्टर में आवश्यक फंड की कमी पड़ रही है। ऐसे में यदि इन राज्यों ने अभी भी कोई कदम नहीं उठाया तो आने वाले समय में इन राज्यों की आर्थिक हालात बदहाल हो सकती है।