रिशूर की एक विशेष अदालत ने नाबालिग बालिका से बलात्कार के आरोप में एक पादरी को 40 साल की कड़ी कैद की सजा सुनाई है।
प्रोटक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसस (पॉक्सो) अधिनियम -2012 के लागू होने के बाद से यह सबसे कड़ी सजा हो सकती है। त्रिशूर की एक विशेष अदालत ने नाबालिग बालिका से बलात्कार के आरोप में एक पादरी को 40 साल की कड़ी कैद की सजा सुनाई है। 35 वर्षीय सनी के जेम्स पर 20,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। विशेष अदालत के न्यायाधीश के पी सुधीर ने 14 वर्षीया पीडि़ता को 3 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति किए जाने के भी आदेश दिए हैं।
जानकारी के अनुसार बालिका चर्च के कार्यक्रम में भाग लेने गई थी। जेम्स उसी चर्च में पादरी था। जेम्स उसे अपने घर ले गया जहां यह घटना हुई। घटना अप्रेल 2014 की है। इस घटना का खुलासा फरवरी 2015 में उस समय हुआ जब बच्चों के कल्याण से जुड़ी एक संस्था बालिका के स्कूल में काउंसलिंग सत्र आयोजित करने आई थी। विशेष लोक अभियोजक पी. मैथ्यू ने बताया कि सत्र के दौरान एक अन्य बालिका ने जेम्स द्वारा बलात्कार करने की बात काउंसलर्स को बताई। उसने अन्य बालिकाओं के साथ भी ऐसी ही घटना होने की बात कही। मैथ्यू ने बताया कि अभी उस बालिका का खुद का मामला ही विचाराधीन है।