scriptजानिए क्यों ‘ मुंबई के फैंटम’ के नाम से मशहूर थे अरबपति कारोबारी पालोनजी मिस्री | Know Why Pallonji Mistry Called As Phantom Of Bombay House | Patrika News

जानिए क्यों ‘ मुंबई के फैंटम’ के नाम से मशहूर थे अरबपति कारोबारी पालोनजी मिस्री

locationनई दिल्लीPublished: Jun 28, 2022 05:37:01 pm

शापूरजी ग्रुप के चेयरमैन पालोनजी मिस्त्री का 93 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। पालोनजी अरबपति कारोबारी होने के बाद भी काफी लो प्रोफाइल ही रहे। शायद यही वजह है कि इन्हें गुमनाम अरबपति कारोबारी भी कहा जाता था, क्योंकि वे सार्वजनिक जगहों पर ना तो जाते थे और ना ही कारोबारी बैठकों में कभी दिखे। बावजूद इसके उन्हें मुंबई के फैंटम के रूप में मशहूर थे।

Know Why Pallonji Mistry Called As Phantom Of Bombay House

Know Why Pallonji Mistry Called As Phantom Of Bombay House

शापूरजी समूह के चेयरमैन और दिग्गज कारोबारी पालोनजी मिस्त्री अब इस दुनिया में नहीं रहे। पालोनजी मिस्त्री की गितनी भले ही अरबपतियों में की जाती रही हो, लेकिन वे कभी भी हाईप्रोफाइल रहना पसंद नहीं करते थे। यही वजह है कि पालोनजी मिस्त्री को गुमनाम अरबपति कारोबारी भी कहा जाता था। क्योंकि ना तो वो सार्वजनिक जगहों पर दिखते थे और ना ही लाइमलाइट में रहने की आदत थी। हालांकि लो प्रोफाइल रहने के बाद भी कारोबारियों के बीच वे फैंटम ऑफ बॉम्बे हाउस के रूप में मशहूर थे। इसके पीछे भी दिलचस्प वजह, जिसके चलते उन्हें फैंटम के नाम से बुलाया जाता था।
इस वजह से कारोबारी बुलाते थे फैंटम
दरअसल पालोनजी मिस्त्री का टाटा समूह के मुंबई स्थित मुख्यालय ‘बॉम्बे हाउस’ में खास रुतबा था। उनकी धमक ऐसी थी जब भी वे यहां आते तो सबके कद छोटे पड़ जाते हैं। यही वजह है कि, उनके रुतबे को देखते हुए उन्हें ‘फैंटम’ के नाम से जाना जाता था।

टाटा समूह के मामलों पर उनके अप्रत्यक्ष प्रभाव के लिए उन्हें अक्सर फैंटम ऑफ बॉम्बे हाउस (बॉम्बे हाउस के प्रेत) के रूप में जाना जाता था।

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पालोनजी मिस्त्री का जन्म 1929 में भारत में एक पारसी परिवार में हुआ था। उन्होंन उच्च शिक्षा के लिए लंदन के इंपीरियल कॉलेज जाने से पहले मुंबई के कैथेड्रल और जॉन केनन स्कूल में पढ़ाई की।

पालोनजी के करियर की शुरुआत 18 साल की उम्र में पारिवारिक बिजनेस से ही हो गई। 1865 में स्थापित अपनी पिता की कंपनी के लिए उन्होंने कई देशों में सेवाएं दीं।

1970 के दशक में उन्होंने मध्य पूर्व के देशों, अबू धाबी, दुबई और कतर तक अपने व्यापार को फैलाया। उनकी कंपनी ने ओमान के सुल्तान के महल के साथ बहुत सी VIP इमारतों का निर्माण किया।
मुगलेआजम से खास कनेक्शन
हिंदी फिल्म इतिहास में अपनी अमिट छाप छोड़ गई फिल्म मुगल-ए-आजम से भी पालोनजी मिस्त्री का खास कनेक्शन है। दरअसल शापूरजी पल्लोनजी समूह ने के.आसिफ की प्रतिष्ठित हिंदी फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ (1960) के निर्माण में भी अहम भूमिका निभाई। यह अपने समय की सबसे महंगी फिल्म थी।
एक लाख से ज्यादा संपत्ति खर्च नहीं कर सकता परिवार
टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में बड़ी हिस्सेदारी रखने वाले शापूरजी पैलोनजी ग्रुप के चेयरमैन पैलोनजी शापूरजी मिस्त्री 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की अपनी ही संपत्ति खर्च नहीं कर सकते। दरअसल टाटा सन्स के साथ उनकी संपत्ति का 84 फीसदी हिस्सा कानूनी विवाद में फंसा है।

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