किस दल को कितनी और कौन सी सीट मिलेगी, यह तय होना बाकी है। झामुमो और कांग्रेस के बीच ही यह तय नहीं हो पा रहा है कि दोनों दल कितनी सीटों पर लड़ेंगे। ऐसे में दूसरे दलों की बात कौन करे। राजद ने तो सीट बंटवारे के पहले ही पलामू और चतरा से अपने उम्मीदवारों के नाम भी घोषित कर दिए। इससे इंडिया गठबंधन में तालमेल का अभाव साफ दिखाई दे रहा है।
भाजपा ने जिन 13 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की है, उनमें स्थानीय प्रत्याशियों को खास महत्त्व दिया गया है। विश्लेषकों का मानना है कि इससे स्थानीय स्तर पर पार्टी की पकड़ मजबूत हुई है। भाजपा हर मोर्चे पर अपने आपको मजबूत करने की कोशिश में लगी है। अब इंडिया गठबंधन के लिए बड़ी चुनौती है कि वह भी भाजपा के सामने स्थानीय उम्मीदवार मैदान में उतारे।
दलबदल की रफ्तार तेज
झारखंड में दल बदल करने-कराने की रफ्तार तेज हो चुकी है। भाजपा ने झामुमो की वरिष्ठ विधायक और सोरेन परिवार की बहू सीता सोरेन को अपने पाले में कर पहली चुनौती पेश की। उधर इंडिया गठबंधन ने भी दांव चले। इसका बदला लेते हुए कांग्रेस पार्टी ने भाजपा के विधायक और सदन में पार्टी के सचेतक जेपी भाई पटेल को अपने पाले में करते हुए उन्हें हजारीबाग से टिकट दे दिया। अगले कुछ दिनों में इंडिया गठबंधन कुछ ऐसे ही खेल और भी कर सकता है। भाजपा के दो पूर्व सांसद कांग्रेस पार्टी का दामन थाम कर भाजपा उम्मीदवारों के सामने चुनौती पेश कर सकते हैं।
सीटों पर खींचतान
क्षेत्रीय दलों और कांग्रेस के बीच सीटों पर सहमति इसलिए नहीं बन पा रही है कि हर दल ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लडऩा चाहता है। झारखंड में भी यही हो रहा है। कांग्रेस के साथ संकट है कि वह गठबंधन की ड्राइविंग सीट पर बैठकर अधिक संख्या में जीतने का सेहरा बांध लेना चाहती है। मगर क्षेत्रीय पार्टियां भी इस रेस में पिछडऩा नहीं चाहतीं। अब देखना यह है कि सीटों को लेकर चल रही खींचतान कब खत्म होती है।
भ्रष्टाचार बना मुद्दा
झारखंड में भ्रष्टाचार पर वार एक अहम मुद्दा बना हुआ है। भाजपा आम मतदाताओं तक इस मुद्दे को लेकर जा रही है। यह मुद्दा जनता को कितना प्रभावित करेगा, यह तो चुनाव परिणाम बताएंगे, लेकिन यह तय है कि चुनाव प्रचार के दौरान आरोप-प्रत्यारोप बढ़ने वाले हैं। इससे चुनावी माहौल गरमाना निश्चित है।