राष्ट्रीय

अब बनवासी की तरह नहीं राजा की तरह अयोध्या में विराजेंगे प्रभु श्रीराम, जानिए पुरानी मूर्ति का क्या होगा?

Ram Mandir: राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “ जैसे सुख के बाद दुख और दुख के बाद सुख आता है। ठीक वैसे ही रामलला के साथ हुआ है।

Jan 20, 2024 / 09:30 am

Prashant Tiwari

 

500 साल के लंबे इंतजार के बाद 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। मंदिर में प्रभु श्रीराम के बाल विग्रह की नई मूर्ति स्थापित की गई है। ऐसे में सबके मन में एक ही सवाल आ रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों रामलला की नई प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पुरानी मूर्ति का क्या होगा। ऐसे में मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने लोगों के हर संशय को दूर कर दिया है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा, “रामलला ने अभी तक वनवासी की तरह ही जीवन व्यतीत किया है। अब उनकी राजा की तरह पूजा की जाएगी।”

 

बनवासी नहीं राजा की तरह मंदिर में विराजेंगे प्रभु श्रीराम

राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “ जैसे सुख के बाद दुख और दुख के बाद सुख आता है। ठीक वैसे ही रामलला के साथ हुआ है। रामलला 6 दिसंबर 1992 से त्रिपाल में रहते हुए आए हैं। किसी तरह पूजा-अर्चना होती रही। अभी वह अस्थायी मंदिर में हैं। 28 साल के बाद भव्य मंदिर बना है। अभी तक तो अव्यवस्थित ही रहा। वनवासी की तरह ही सारी व्यवस्था रही। अब रामलला की पूजा अर्चना एक राजा की तरह होगी। उनकी पूजा अर्चना विधि विधान से होती रहेगी। अब अयोध्या में वह वनवासी नहीं राजा की तरह विराजमान होंगे।

 

पुराने विग्रह का क्या होगा?

सत्येंद्र दास से जब भगवान राम के पुराने विग्रह को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने बताया, “दोनों में बस आकार का अंतर है। दूर से दर्शन में कठिनाई होती है। नया मंदिर तो नई मूर्ति चाहिए। प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंदिर जब दर्शन के लिए खोला जाएगा तब लोगों को दोनों मूर्तियों के दर्शन होंगे। गर्भगृह में ही दोनों मूर्तियां रहेंगी। पुरानी मूर्ति के बारे में उन्होंने कहा कि जिसका उससे अधिक लगाव होगा, उस मूर्ति के दर्शन से उसे उतनी प्रसन्नता होगी। लोग दोनों के लाभ उठाएंगे।”

pooja.jpg

अब आनंद ही आनंद

मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा, ”अयोध्या में वर्षों से रामलला कठिनाई में रहे। कोई उनकी सुध लेने के लिए तैयार नहीं था। हमको भी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। यह कठिनाई अब समाप्त हो चुकी है। अब आनंद ही आनंद है।”
avimukteshwranand.jpg

 

शंकराचार्य ने उठाए थे सवाल

ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से पहले श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को पत्र लिखा है। इस पत्र में अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सवाल उठाए हैं कि राम मंदिर परिसर में अगर नई मूर्ति की स्थापना होगी, तो रामलला विराजमान का क्या होगा? श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास जी महाराज को लिखे पत्र में उन्होंने कहा, ”कल समाचार माध्यमों से पता चला है कि रामलला की मूर्ति किसी स्थान विशेष से राम मंदिर परिसर मे लाई गई है और उसी की प्राण प्रतिष्ठा निर्माणाधीन मंदिर के गर्भगृह में की जानी है।

एक ट्रक भी दिखाया गया, जिसमें वह मूर्ति लाई जा रही बताई जा रही है। इससे यह अनुमान होता है कि नवनिर्मित श्रीराम मंदिर में किसी नवीन मूर्ति की स्थापनी की जाएगी, जबकि श्रीरामलला विराजमान तो पहले से ही परिसर में विराजमान हैं. यहां प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि यदि नवीन मूर्ति की स्थापना की जाएगी तो श्रीरामलला विराजमान का क्या होगा?”

ये भी पढ़ें: राम मंदिर के उद्घाटन से पहले ही भर गई रामलला की तिजोरी, रोज दान में आ रही इतनी रकम, जानकर हो जाएंगे हैरान

Hindi News / National News / अब बनवासी की तरह नहीं राजा की तरह अयोध्या में विराजेंगे प्रभु श्रीराम, जानिए पुरानी मूर्ति का क्या होगा?

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.