हरियाणा में जाट आंदोलन के दौरान मुरथल में हुए गैंगरेप में पहली पीडि़ता सामने आई है। दिल्ली निवासी पीडि़ता ने एसआईटी की हेल्पलाइन पर फोन कर बताया, 22-23 फरवरी को सात लोगों ने उससे गैंगरेप किया। इसमें उसका देवर भी शामिल था। तब 15 वर्षीय बेटी पीडि़ता के साथ थी। शुक्र रहा कि दरिंदों ने उसे बख्श दिया।
पुलिस ने मुरथल मामले में पहला केस दर्ज किया। हालांकि एसआईटी ने कहा, मामला पारिवारिक विवाद का हो सकता है। सभी पहलुओं की जांच की जा रही है। सोनीपत डीआईजी राजश्री सिंह ने कहा, अभी महिला का बयान मजिस्ट्रेट के सामने नहीं हो पाया।
और फोन आ रहे हैं पर पीडि़ताओं के बजाय चश्मदीद जानकारी दे रहे हैं कि रेप होते देखा था। इस बीच, सिंह देर रात महिला के बयान लेने दिल्ली पहुंच गईं। इससे पहले सोनीपत एसपी अभिषेक गर्ग ने डीजीपी को जांच रिपोर्ट सौंपी लेकिन गैंगरेप की पुष्टि नहीं हुई।
कहा, एसआईटी जांच में सामने आने वाले तथ्यों पर विचार करेंगे। वहीं, केंद्रीय महिला-बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि महिला आयोग की टीम इलाके का दौरा कर सच का पता लगाएगी।
35 बिरादरी करेंगी जाटों का बहिष्कार
जाट आंदोलन में हिंसा पर हरियाणा की 35 बिरादरियों ने जाटों के सामाजिक बहिष्कार का निर्णय लिया। इनकी मांग है कि दंगाइयों पर हत्या का केस चले। राज्य के 100 से अधिक गांवों की महापंचायत में यह निर्णय लिया।
महापंचायत के प्रमुख मोहम्मदपुर झारसा गांव के सरपंच नाथु सिंह ने बताया, गांव वाले दंगाइयों से सख्त नाराज हैं। उन पर कड़ी कार्रवाई चाहते हैं। जो भी महापंचायत के आदेशके खिलाफ जाकर जाटों से संबंध रखेगा, उसका भी बहिष्कार करेंगे।
महापंचायत का मानना है कि जाट का आंदोलन आरक्षण के लिए नहीं बल्कि गैर-जाट मुख्यमंत्री के खिलाफ साजिश थी। राज्य में 40 साल से सत्ता में रहले जाटों के कमजोर होने का सवाल ही नहीं उठता।
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