देश को झकझोर कर रख डालने वाली संसद पर हमले की घटना की आज 14वीं बरसी मनाई जा रही है। भारत के इतिहास की इस दर्दनाक घटना के दिन शहीद हुए सुरक्षाकर्मियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रद्धासुमन अर्पित किए।
पीएम मोदी के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी सहित कई मंत्रियों और नेताओं ने भी शहीदों को नमन किया।
आज ही के दिन 13 दिसंबर, 2001 को आतंकियों ने संसद को निशाना बनाया था। जैश-ए-मोहम्मद के पांच आतंकियों ने संसद पर हमले की ज़िम्मेदारी ली थी। इस हमले में आठ सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे और संसद के एक कर्मचारी की भी मौत हो गई थी। आतंकी हमले के दौरान कई केंद्रीय मंत्री और सांसद समेत करीब 200 लोग संसद में मौजूद थे।
13 दिसंबर, 2001 को हमेशा की तरह संसद की कार्यवाही चल रही थी। दोनों सदन गोलीबारी से करीब 40 मिनट पहले ही स्थगित हुए थे। इसी बीच सुबह करीब 11.25 पर एके-47 बंदूकों और हैंड ग्रेनेड से लैस पांच आतंकियों ने हमला बोल दिया।
आतंकियों का सामना करते हुए दिल्ली पुलिस के पांच जवान, सीआरपीएफ की एक महिला कांस्टेबल और संसद के दो गार्ड शहीद हुए और 16 जवान इस मुठभेड़ में घायल हुए। लोकतंत्र के इस मंदिर में कोई आंच न आए, इसलिए उन्होंने अपनी जान की बाजी लगा दी और सभी आतंकियों को मार गिराया।
संसद हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त, 2005 को अफजल गुरु को फांसी की सजा सुनाई थी। अदालत ने 20 अक्टूबर, 2006 को अफजल को फांसी देने का आदेश दिया था। लेकिन 3 अक्टूबर, 2006 को अफजल की पत्नी तब्बसुम ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल कर दी। 3 फरवरी, 2013 को राष्ट्रपति ने अफजल की दया याचिका खारिज की और 9 फरवरी, 2013 को अफजल गुरु को दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी पर लटका दिया गया।
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