एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से प्रक्षेपित ‘प्रलय’ मिसाइल ने मिशन के सभी उद्देश्यों को पूरा किया है। ये परीक्षण ओडिशा के तट पर किया गया है। रक्षा अनुसंधान विकास संगठन की ओर से विकसित ठोस-ईंधन वाली बैटलफील्ड मिसाइल भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के पृथ्वी डिफेंस वेहिकल पर आधारित है।
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ये है प्रलय की खासियत
– ‘प्रलय’ कम दूरी वाली सतह से सतह पर मार करने में सक्षम मिसाइल है
-इसकी पेलोड क्षमता 500-1,000 किलोग्राम है
– यह युद्धक्षेत्र में दुश्मन को नेस्तनाबूद करने में बड़ी भूमिका निभा सकती है
– प्रलय मिसाइल को जमीन के साथ-साथ कनस्टर से भी दागा जा सकता है।
– इस मिसाइल को इस तरह से बनाया गया है कि यह दूसरे शॉर्ट रेंज बैलेस्टिक मिसाइलों की तुलना में ज्यादा घातक है।
– प्रलय अपने हमले को सटीक निशाने के साथ-साथ ध्वस्त करने में पूरी तरह कामयाब है
– इस मिसाइल को अत्याधुनिक साजों सामान से लैस किया गया है
प्रलय ना सिर्फ दुश्मनों के ठिकानों को बर्बाद करने की ताकत रखती है बल्कि चीन की बैलिस्टिक मिसाइलों का सामने करने में सक्षण है। दरअसल डीआरडीओ ने 2015 मार्च में ही इस मिसाइल का जिक्र किया था। जिसमें कहा गया था कि यह बैलेस्टिक मिसाइल चीन के बैलेस्टिक मिसाइलों का सामना करने की क्षमता रखता है।
रक्षा मंत्री सिंह ने भी दी बधाई इस सफल परीक्षण को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने डीआरडीओ और उससे जुड़ी टीम को बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा है, ‘पहले विकास फ्लाइट ट्रायल के लिए डीआरडीओ और संबंधित टीमों को शुभकामनाएं।