scriptElection Result 2024: दलबदलुओं और बागी प्रत्याशियों जनता ने नकारा, वोट पाने को तरसे नेता | Public rejected turncoats and rebel candidates bjp congress jmm leaders suffers to get votes in jharkhand election results 2024 | Patrika News
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Election Result 2024: दलबदलुओं और बागी प्रत्याशियों जनता ने नकारा, वोट पाने को तरसे नेता

Election Result 2024: कल्पना सोरेन को छोड़ दें तो पारिवारिक विरासत के आधार पर चुनावी फसल काटने उतरे प्रत्याशियों को भी नाकामी हाथ लगी है। झारखंड में कांग्रेस की इकलौती सांसद रही गीता कोड़ा चुनाव के ऐलान के कुछ हफ्तों पहले भाजपा में शामिल हुई थीं। पार्टी ने उन्हें टिकट भी दिया। लेकिन, मतदाताओं को उनका पार्टी बदलना रास नहीं आया।

नई दिल्लीJun 05, 2024 / 03:55 pm

Paritosh Shahi

Election Results 2024: झारखंड की जनता ने लोकसभा चुनाव में दलबदलुओं और बागी प्रत्याशियों को साफ-साफ नकार दिया। ऐसे एक भी प्रत्याशी को चुनावी जंग में कामयाबी नहीं मिली। कल्पना सोरेन को छोड़ दें तो पारिवारिक विरासत के आधार पर चुनावी फसल काटने उतरे प्रत्याशियों को भी नाकामी हाथ लगी है। झारखंड में कांग्रेस की इकलौती सांसद रही गीता कोड़ा चुनाव के ऐलान के कुछ हफ्तों पहले भाजपा में शामिल हुई थीं। इसके बाद पार्टी ने उन्हें टिकट भी दिया। लेकिन, मतदाताओं को उनका पार्टी बदलना रास नहीं आया। गीता कोड़ा झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके मधु कोड़ा की पत्नी हैं। मधु कोड़ा ने उनके चुनावी अभियान में खूब पसीना बहाया, लेकिन आखिरकार गीता कोड़ी को सिंहभूम सीट पर अपनी सांसदी गंवानी पड़ी। उन्हें पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहीं झामुमो की जोबा मांझी ने 1 लाख 68 हजार 402 मतों से हराया।

सीता सोरेन को नहीं मिला जनता का साथ

इसी तरह झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाली सीता सोरेन को दुमका में पराजय का सामना करना पड़ा। उन्हें झामुमो के नलिन सोरेन ने 22,527 मतों से शिकस्त दी। हालांकि, सीता सोरेन पूरे राज्य में सबसे कम मतों के फासले से हारी हैं। सीता सोरेन ने अपने ससुर शिबू सोरेन और दिवंगत पति दुर्गा सोरेन की विरासत के आधार पर इस सीट पर दावा ठोंका था, लेकिन जनता की अदालत ने उनके इस दावे पर मुहर नहीं लगाई। हजारीबाग जिले के मांडू इलाके के भाजपा विधायक जयप्रकाश पटेल ने चुनाव का ऐलान होने के बाद पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस ने उन्हें हजारीबाग सीट पर उम्मीदवार बनाया। यहां भाजपा के मनीष जायसवाल ने 2 लाख 76 हजार 686 वोटों से हराकर संसद पहुंचने की उनकी हसरत नहीं पूरी होने दी।

ससुर-दामाद दोनों को नकारा

गिरिडीह में जयप्रकाश पटेल के ससुर मथुरा महतो झामुमो के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे। जनता ने दामाद जयप्रकाश और ससुर मथुरा दोनों की संसद पहुंचने की दावेदारी खारिज कर दी। झारखंड मुक्ति मोर्चा के दो विधायकों लोबिन हेंब्रम और चमरा लिंडा ने पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ा और दोनों की मुंह की खानी पड़ी। लोहरदगा सीट पर चमरा लिंडा तीसरे नंबर पर रहे और उन्हें मात्र 45 हजार वोट मिले। पहले माना जा रहा था कि चमरा लिंडा के मैदान में रहने से ‘इंडिया’ के प्रत्याशी की जीत की राह मुश्किल हो सकती है, लेकिन वह कोई खास असर छोड़ पाने में नाकाम रहे। राजमहल सीट पर लोबिन हेंब्रम ने भी अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी के खिलाफ ताल ठोंकी थी। उन्हें मात्र 42,120 मतों के साथ तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा।

बगावत करने वालों को मिली हर

इसी तरह खूंटी सीट पर झामुमो से बगावत कर चुनाव लड़ने वाले पूर्व विधायक बसंत कुमार लोंगा को मात्र 10,755 वोट मिले और वह चौथे स्थान पर रहे। कोडरमा सीट पर भी पूर्व विधायक और झामुमो के नेता जयप्रकाश वर्मा बगावत कर निर्दलीय उतरे। उन्हें 23,223 वोट मिले और वह चौथे नंबर पर रहे। पारिवारिक विरासत के आधार पर बगैर किसी राजनीतिक अनुभव के सीधे चुनाव मैदान में लैंड कराई गईं दो कांग्रेस प्रत्याशियों अनुपमा सिंह और यशस्विनी सहाय को भी मतदाताओं ने स्वीकार नहीं किया। कांग्रेस विधायक अनूप कुमार सिंह की पत्नी अनुपमा सिंह को धनबाद सीट पर हार झेलनी पड़ी। उन्हें भाजपा के ढुल्लू महतो ने 3 लाख 31 हजार 583 मतों से हराया। इसी तरह पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय की पुत्री यशस्विनी सहाय को रांची सीट पर पराजय झेलनी पड़ी। उन्हें भाजपा के संजय सेठ ने 1,20,517 मतों से हराया।

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