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Qutub Minar Row: परिसर में पूजा करने की अपील पर कोर्ट ने टाला फैसला, जानिए वजह

दिल्ली के कुतुबमीनार मामले में गुरुवार को साकेत कोर्ट की ओर से एक अहम फैसला आना था, लेकिन 9 जून को कोर्ट ने इस फैसले को टाल दिया है। दरअसल कोर्ट कुतुब मीनार में हिंदू पक्ष को पूजा की इजाजत से जुड़े मामले पर सुनवाई के बाद फैसला देने वाला था। लेकिन इससे पहले कोर्ट में इस मामले में नया मोड़ सामने आ गया।

नई दिल्लीJun 09, 2022 / 01:41 pm

धीरज शर्मा

Qutub Minar Row Delhi Saket Court Defers Its Judgement On Worshiping Rights Know Why

Qutub Minar Row Delhi Saket Court Defers Its Judgement On Worshiping Rights Know Why

देश की राजधानी दिल्ली में स्थित कुतुब मीनार परिसर में चल रहे विवाद के बीच एक बड़ी खबर सामने आई है। दरअसल हिंदुओं को पूजा करने की अनुमति मिलेगी या नहीं, इस पर आज यानी 9 जून को कोर्ट में फैसला होना था, लेकिन कोर्ट ने इस फैसले को टाल दिया है। हालांकि कोर्ट के फैसले पर सभी की नजरें टिकी हुई थीं, लेकिन एन वक्त पर इस मामले में एक नया मोड़ आ गया और साकेत कोर्ट ने इस मामले पर अपना फैसला आगे के लिए टाल दिया है। दरअसल साकेत कोर्ट में एक नई याचिका दायर होने की वजह से कुतुब मीनार परिसर में पूजा करने के मांग वाली अपील पर फैसले का इंतजार दो महीने तक बढ़ गया।
24 अगस्त तक बढ़ा इंतजार
दिल्ली की साकेत कोर्ट ने कुतुब मीनार परिसर के अंदर हिंदू और जैन लोगों के पूजा की अनुमति मांगने वाली अपीलों पर अपने आदेश की घोषणा को 24 अगस्त के लिए टाल दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 24 अगस्त को दोपहर 2 बजे होगी।
हिंदू पक्ष और एएसआई ने किया विरोध
कोर्ट ने साफ कहा है कि, अदालत में एक नया आवेदन पर फैसला होने तक इस मामले में किसी भी तरह का निर्णय या फिर जजमेंट नहीं दिया जाएगा, हालांकि, कुतुब मीनार मसले पर साकेत कोर्ट में नई अर्जी दाखिल करने का हिंदू पक्ष समेत एएसआई ने विरोध किया।

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जानबूझकर डाली गई याचिका
कोर्ट में हिंदू और एएसआई दोनों ही पक्षों ने कहा कि नई अर्जी जानबूझकर ऐसे वक्त पर दाखिल की गई है ताकि इस मामले को आगे बढ़ाया जा सके। इस याचिका को डालने का मकसद मामले में देरी करने का आधार है।

क्या है नई याचिका?
नई अर्जी में कहा गया है कि याचिकाकर्ता महेन्द्र ध्वज प्रसाद सिंह तत्कालीन आगरा प्रांत के वारिस हैं और उस लिहाज से दक्षिणी दिल्ली के जमीन के भी वारिस हैं और यह मीनार उसी जमीन पर बनी हुई है, लिहाजा इनका पक्ष भी सुना जाना जरूरी है।

बता दें कि, बीती सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट में दायर हिंदू संगठन की याचिका में यह दावा किया गया है कि कुतुब मीनार परिसर में स्थित मस्जिद का निर्माण 27 हिंदू-जैन मंदिरों को तोड़कर किया गया था और वहां अभी भी देवी देवताओं की कई मूर्तियां हैं। ऐसे में उन्हें पूजा का अधिकार दिया जाए।

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